For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कुण्डलिया छंद-लक्ष्मण लडीवाला

जज्बा रख यदि ठानले, लगे सफलता हाथ,

काम करे उत्साह से, मिले सभी का साथ

मिले सभी का साथ, सभी उत्साहित रहते

रखकर ऊँची सोच, मदद आपस में करते

करे सोच कर काम, लगे न कभी भी धब्बा

संकट जाता हार, जब हो कर्म का जज्बा |

(२)

यात्रा जैसे आइना, ज़रा गौर से देख 

सुन्दरता वर्णन करे, विद्वानों के लेख 

विद्वानों के लेख,से बहुत सा ज्ञान मिले

पढ़े जब शिलालेख,संस्कृति संज्ञान मिले

बिन यात्रा के आप, ले न सके ज्ञान वैसे

कही न मिलता ज्ञान, मिले याता में जैसे |     

(३)

बिगुल बजे चुनावों का, मतदाता अब नाथ

वादे करते आ रहे, दल बल के सब साथ |

दल बल के सब साथ, करे नेता सब वादे 

जनता को है भान, नहीं है नेक इरादे |

कह कवि राय प्रसाद, गुण्डे करते सब मजे, 

करना सही चुनाव,युद्ध सा जब बिगुल बजे | 

.

(मौलिक व् अप्रकाशित) 

 

 

 

Views: 526

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 26, 2014 at 7:04pm

क्या कहें !

आदरणीय, अपेक्षा थी कि आप नवोदितों को छंदों पर विशेषकर दोहा-कुण्डलिया पर अपनी बातें कहते.

बिगुल बजे चुनावों का  .. यह किसी दोहा का विषम चरण है ?

सादर

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on March 12, 2014 at 7:33pm

छंद पसंद करने के लिए धन्यवाद श्री विजय मिश्र जी | सादर 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on March 12, 2014 at 7:32pm

सही पकड़ की है भाई श्री गिरिराज भंडारी जी | तीसरी कुंडलिया छंद पुनः देख संशोधन के प्रयास करता हूँ | आपका हार्दिक आभार 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on March 12, 2014 at 7:31pm

छंद सराहने के लिए आभार आपका श्री शिज्जू शकूर जी, और भाई श्री अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव जी 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on March 12, 2014 at 7:30pm

छंद पसंद करने के लिए सादर आभार आदरणीया सरिता पाठक जी और मीना पाठक जी 

Comment by विजय मिश्र on March 12, 2014 at 12:59pm
बहुत सुंदर सन्देश लक्ष्मण भाई |बधाई

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on March 11, 2014 at 9:36pm

आदरणीय लक्ष्मण भाई , सुन्दर कुंडलियाँ रची है आपने , बधाइयाँ ॥ तीसरी कुंडलिया मे गेयता बाधित लग रही है ॥

Comment by Meena Pathak on March 11, 2014 at 10:11am
Bahut sundar Kundaliyan .. Saadar badhai
Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on March 10, 2014 at 7:13pm

आदरणीय लक्ष्मण भाई, 

सही सलाह देती अच्छी कुंडलियाँ , हार्दिक बधाई  

Comment by Sarita Bhatia on March 10, 2014 at 5:46pm

बहुत प्रभावी और सामयिक कुण्डलियां 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

रामबली गुप्ता commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आहा क्या कहने। बहुत ही सुंदर ग़ज़ल हुई है आदरणीय। हार्दिक बधाई स्वीकारें।"
yesterday
Samar kabeer commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"जनाब सौरभ पाण्डेय जी आदाब, बहुत समय बाद आपकी ग़ज़ल ओबीओ पर पढ़ने को मिली, बहुत च्छी ग़ज़ल कही आपने, इस…"
Saturday
धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

किसी के दिल में रहा पर किसी के घर में रहा (ग़ज़ल)

बह्र: 1212 1122 1212 22किसी के दिल में रहा पर किसी के घर में रहातमाम उम्र मैं तन्हा इसी सफ़र में…See More
Friday
सालिक गणवीर posted a blog post

ग़ज़ल ..और कितना बता दे टालूँ मैं...

२१२२-१२१२-२२/११२ और कितना बता दे टालूँ मैं क्यों न तुमको गले लगा लूँ मैं (१)छोड़ते ही नहीं ये ग़म…See More
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-115
"चल मुसाफ़िर तोहफ़ों की ओर (लघुकथा) : इंसानों की आधुनिक दुनिया से डरी हुई प्रकृति की दुनिया के शासक…"
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-115
"सादर नमस्कार। विषयांतर्गत बहुत बढ़िया सकारात्मक विचारोत्तेजक और प्रेरक रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-115
"आदाब। बेहतरीन सकारात्मक संदेश वाहक लघु लघुकथा से आयोजन का शुभारंभ करने हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय मनन…"
Thursday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-115
"रोशनी की दस्तक - लघुकथा - "अम्मा, देखो दरवाजे पर कोई नेताजी आपको आवाज लगा रहे…"
Thursday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-115
"अंतिम दीया रात गए अँधेरे ने टिमटिमाते दीये से कहा,'अब तो मान जा।आ मेरे आगोश…"
Thursday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-115
"स्वागतम"
Oct 30

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ

212 212 212 212  इस तमस में सँभलना है हर हाल में  दीप के भाव जलना है हर हाल में   हर अँधेरा निपट…See More
Oct 29
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-172
"//आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी जी, जितना ज़ोर आप इस बेकार की बहस और कुतर्क करने…"
Oct 26

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service