जज्बा रख यदि ठानले, लगे सफलता हाथ,
काम करे उत्साह से, मिले सभी का साथ
मिले सभी का साथ, सभी उत्साहित रहते
रखकर ऊँची सोच, मदद आपस में करते
करे सोच कर काम, लगे न कभी भी धब्बा
संकट जाता हार, जब हो कर्म का जज्बा |
(२)
यात्रा जैसे आइना, ज़रा गौर से देख
सुन्दरता वर्णन करे, विद्वानों के लेख
विद्वानों के लेख,से बहुत सा ज्ञान मिले
पढ़े जब शिलालेख,संस्कृति संज्ञान मिले
बिन यात्रा के आप, ले न सके ज्ञान वैसे
कही न मिलता ज्ञान, मिले याता में जैसे |
(३)
बिगुल बजे चुनावों का, मतदाता अब नाथ
वादे करते आ रहे, दल बल के सब साथ |
दल बल के सब साथ, करे नेता सब वादे
जनता को है भान, नहीं है नेक इरादे |
कह कवि राय प्रसाद, गुण्डे करते सब मजे,
करना सही चुनाव,युद्ध सा जब बिगुल बजे |
.
(मौलिक व् अप्रकाशित)
Comment
क्या कहें !
आदरणीय, अपेक्षा थी कि आप नवोदितों को छंदों पर विशेषकर दोहा-कुण्डलिया पर अपनी बातें कहते.
बिगुल बजे चुनावों का .. यह किसी दोहा का विषम चरण है ?
सादर
छंद पसंद करने के लिए धन्यवाद श्री विजय मिश्र जी | सादर
सही पकड़ की है भाई श्री गिरिराज भंडारी जी | तीसरी कुंडलिया छंद पुनः देख संशोधन के प्रयास करता हूँ | आपका हार्दिक आभार
छंद सराहने के लिए आभार आपका श्री शिज्जू शकूर जी, और भाई श्री अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव जी
छंद पसंद करने के लिए सादर आभार आदरणीया सरिता पाठक जी और मीना पाठक जी
आदरणीय लक्ष्मण भाई , सुन्दर कुंडलियाँ रची है आपने , बधाइयाँ ॥ तीसरी कुंडलिया मे गेयता बाधित लग रही है ॥
आदरणीय लक्ष्मण भाई,
सही सलाह देती अच्छी कुंडलियाँ , हार्दिक बधाई
बहुत प्रभावी और सामयिक कुण्डलियां
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