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फाग मास की पूर्णिमा रंगों का त्योहार
सरसों खिलती खेत में फाल्गुन बाँटे प्यार /


पहला दिन है होलिका दूजा है धुरखेल
भारत औ' नेपाल में खेलें हैं यह खेल /

आओ यारो सब मिलो लेकर रंग गुलाल 
नीला पीला औ' हरा गुलाबी संग लाल /


सब करें होलिका दहन फिर लगाएं गुलाल
फाग से है धमार का मिला ताल से ताल /


काम महोत्सव तुम कहो या राग रंग पर्व
होली दिन है मेल का करते सारे गर्व /


आया है अब फाग जो रंगीन है फुहार
भूलो शिकवे आप भी बांटो सबको प्यार /

..................................................

..........मौलिक व अप्रकाशित.............



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Comment by rajesh kumari on March 12, 2014 at 11:59am

बहुत बढ़िया होली के दोहे बहुत- बहुत बधाई प्रिय सरिता जी पहले दो दोहे शिल्पगत द्रष्टि से उत्तम हैं बाकी में कुछ सुधार की गुंजाइश है. काम महोत्सव तुम कहो या राग रंग पर्व ---इसमें भंग/फाग  महोत्सव तुम कहो लिखें तो ज्यादा बेहतर होगा

Comment by Omprakash Kshatriya on March 12, 2014 at 7:25am

सरिता जी पूरी रचना अच्छी है पर पहले दो दोहे बहुत पसंद आए . इन में लय  - प्रवाह अच्छा है . बधाई .


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on March 11, 2014 at 9:58pm

आदरनीया सरिता जी , होली पर सुन्दर दोहों की रचना हुई है , बधाइयाँ ॥ 3 ,4,  6 मे  प्रवाह मे कुछ गड़बड़ी जरूर है ॥

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on March 11, 2014 at 12:14pm

बहुत सुंदर दोहावली , बधाई स्वीकारे आदरणीया सरिता जी


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on March 11, 2014 at 9:47am

आदरणीया सरिता जी रचनाकर्म के प्रति आपके लगन की जितनी तारीफ की जाये कम है। होली को केन्द्र में रखकर बहुत अच्छी दोहावली रची है आपने बधाई स्वीकार करें। बस चौथे दोहे को एक बार देख लें थोड़ा अटकाव सा हो रहा है।

Comment by Meena Pathak on March 11, 2014 at 9:29am
Kyaa baat hai .. Aanand aa gaya padh k .. Bahut bahut badhai aap ko
Comment by Sarita Bhatia on March 11, 2014 at 8:58am

आदरणीय मनोज जी हार्दिक आभार आपका सुझाव अच्छा लगा 

Comment by Sarita Bhatia on March 11, 2014 at 8:57am

आदरणीय अखिलेश जी शुक्रिया 

Comment by मनोज कुमार सिंह 'मयंक' on March 10, 2014 at 9:08pm

आदरणीया सरिता जी..आपने बहुत ही सुन्दर दोहावली प्रस्तुत की है...बधाई हो..ऊपर के तीन दोहे बहुत ही अच्छे हैं..तीसरे में यदि इस तरह का परिवर्तन कर देती 

आओ यारो सब मिलो लेकर रंग गुलाल
नीला पीला औ' हरा रंग गुलाबी लाल /...तो और भी बेहतरीन हो जाता..मेरे विचार से..बहरहाल एक बार फिर बधाई हो..

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on March 10, 2014 at 7:03pm

आदरणीया सरिताजी

होली पर सब को  प्यार बाँट्ने की सलाह देती इस सुंदर रचना की  हार्दिक बधाई 

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