For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")


फाग मास की पूर्णिमा रंगों का त्योहार
सरसों खिलती खेत में फाल्गुन बाँटे प्यार /


पहला दिन है होलिका दूजा है धुरखेल
भारत औ' नेपाल में खेलें हैं यह खेल /

आओ यारो सब मिलो लेकर रंग गुलाल 
नीला पीला औ' हरा गुलाबी संग लाल /


सब करें होलिका दहन फिर लगाएं गुलाल
फाग से है धमार का मिला ताल से ताल /


काम महोत्सव तुम कहो या राग रंग पर्व
होली दिन है मेल का करते सारे गर्व /


आया है अब फाग जो रंगीन है फुहार
भूलो शिकवे आप भी बांटो सबको प्यार /

..................................................

..........मौलिक व अप्रकाशित.............



Views: 565

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on March 12, 2014 at 11:59am

बहुत बढ़िया होली के दोहे बहुत- बहुत बधाई प्रिय सरिता जी पहले दो दोहे शिल्पगत द्रष्टि से उत्तम हैं बाकी में कुछ सुधार की गुंजाइश है. काम महोत्सव तुम कहो या राग रंग पर्व ---इसमें भंग/फाग  महोत्सव तुम कहो लिखें तो ज्यादा बेहतर होगा

Comment by Omprakash Kshatriya on March 12, 2014 at 7:25am

सरिता जी पूरी रचना अच्छी है पर पहले दो दोहे बहुत पसंद आए . इन में लय  - प्रवाह अच्छा है . बधाई .


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on March 11, 2014 at 9:58pm

आदरनीया सरिता जी , होली पर सुन्दर दोहों की रचना हुई है , बधाइयाँ ॥ 3 ,4,  6 मे  प्रवाह मे कुछ गड़बड़ी जरूर है ॥

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on March 11, 2014 at 12:14pm

बहुत सुंदर दोहावली , बधाई स्वीकारे आदरणीया सरिता जी


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on March 11, 2014 at 9:47am

आदरणीया सरिता जी रचनाकर्म के प्रति आपके लगन की जितनी तारीफ की जाये कम है। होली को केन्द्र में रखकर बहुत अच्छी दोहावली रची है आपने बधाई स्वीकार करें। बस चौथे दोहे को एक बार देख लें थोड़ा अटकाव सा हो रहा है।

Comment by Meena Pathak on March 11, 2014 at 9:29am
Kyaa baat hai .. Aanand aa gaya padh k .. Bahut bahut badhai aap ko
Comment by Sarita Bhatia on March 11, 2014 at 8:58am

आदरणीय मनोज जी हार्दिक आभार आपका सुझाव अच्छा लगा 

Comment by Sarita Bhatia on March 11, 2014 at 8:57am

आदरणीय अखिलेश जी शुक्रिया 

Comment by मनोज कुमार सिंह 'मयंक' on March 10, 2014 at 9:08pm

आदरणीया सरिता जी..आपने बहुत ही सुन्दर दोहावली प्रस्तुत की है...बधाई हो..ऊपर के तीन दोहे बहुत ही अच्छे हैं..तीसरे में यदि इस तरह का परिवर्तन कर देती 

आओ यारो सब मिलो लेकर रंग गुलाल
नीला पीला औ' हरा रंग गुलाबी लाल /...तो और भी बेहतरीन हो जाता..मेरे विचार से..बहरहाल एक बार फिर बधाई हो..

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on March 10, 2014 at 7:03pm

आदरणीया सरिताजी

होली पर सब को  प्यार बाँट्ने की सलाह देती इस सुंदर रचना की  हार्दिक बधाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

दोहा दशम्. . . निर्वाण

दोहा दशम्. . . . निर्वाणकौन निभाता है भला, जीवन भर का साथ । अन्तिम घट पर छूटता, हर अपने का हाथ ।।तन…See More
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
23 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

देवता क्यों दोस्त होंगे फिर भला- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२ **** तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१। * देवता…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
Sunday
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Friday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
Oct 31
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
Oct 31

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service