For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

2122/ 2122/ 2122/ 212

कातिलों के शह्र में अहले जिगर आते नहीं

भीड़ से होकर परे चहरे नज़र आते नहीं

 

मेरे चारों ओर किस्मत ने बना दी बाड़ सी

हाल ये है अब परिन्दे तक इधर आते नहीं

 

वक्त सा होने लगा है दोस्तों का अब मिजाज़

गर चले जायें तो वापस लौटकर आते नहीं

 

ज़ीस्त के कुछ रास्तों पे तन्हा चलना ठीक है

क्यूँकि अक्सर साथ अपने राहबर आते नहीं

 

नक्शे-माज़ी देखने को आते तो हैं रोज़-रोज़

खण्डहर में लोग रहने को मगर आते नही

 

कामयाबी की लिखी जाये जहाँ से दास्ताँ

याद लोगों को पुराने वो नगर आते नहीं

 

-मौलिक व अप्रकाशित

Views: 761

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on March 27, 2014 at 7:22am

आदरणीय सौरभ सर आपका हार्दिक आभार


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 26, 2014 at 7:10pm

मन खुश हो गया शिज्जू भाई. ढेर सारी दाद कुबूल करें..


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on March 24, 2014 at 9:01pm

आदरणीया डॉ प्राची जी रचना की सराहना के लिये आपका बहुत बहुत शुक्रिया


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on March 24, 2014 at 9:00pm

आदरणीय वीनसजी हौसलाअफ्ज़ाई के लिये आपका बहुत बहुत शुक्रिया


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on March 24, 2014 at 10:51am

बहुत सुन्दर ग़ज़ल लिखी है आ० शिज्जू जी

सभी अशआर बढ़िया लगे.. ज़िंदगी की कड़वी सच्चाइयों को सुन्दरता से समेटा है

 

हार्दिक बधाई इस कामयाब प्रस्तुति पर

 

 

Comment by वीनस केसरी on March 24, 2014 at 1:45am

वाह वाह भाई शानदार ग़ज़ल हुई है
मज़ा आ गया


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on March 14, 2014 at 10:11pm

भाई जितेन्द्र जी आपका बहुत बहुत शुक्रिया

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on March 13, 2014 at 8:51pm

बहुत खुबसूरत गजल कही आपने आदरणीय शिज्जू जी, हार्दिक बधाई स्वीकारें


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on March 13, 2014 at 6:19pm

आदरणीया संजू जी रचना की सराहना के लिये आपका आभार

Comment by sanju shabdita on March 13, 2014 at 1:37pm

वक्त सा होने लगा है दोस्तों का अब मिजाज़

गर चले जायें तो वापस लौटकर आते नहीं...... बहुत खूब शिज्जू जी ..खूबसूरत ग़ज़ल की हार्दिक बधाई आपको

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . .तकदीर
"आदरणीय अच्छे सार्थक दोहे हुए हैं , हार्दिक बधाई  आख़िरी दोहे की मात्रा फिर से गिन लीजिये …"
5 hours ago
सालिक गणवीर shared Admin's page on Facebook
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी's blog post was featured

एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]

एक धरती जो सदा से जल रही है   ********************************२१२२    २१२२     २१२२ एक इच्छा मन के…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]

एक धरती जो सदा से जल रही है   ********************************२१२२    २१२२     २१२२ एक इच्छा मन के…See More
Tuesday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . .तकदीर

दोहा सप्तक. . . . . तकदीर   होती है हर हाथ में, किस्मत भरी लकीर । उसकी रहमत के बिना, कब बदले तकदीर…See More
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ छियासठवाँ आयोजन है।.…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय  चेतन प्रकाश भाई  आपका हार्दिक आभार "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय बड़े भाई  आपका हार्दिक आभार "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आभार आपका  आदरणीय  सुशील भाई "
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए हार्दिक आभार।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service