For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

प्रथम प्रयास ............

1-) देह लता प्रभु दीन्ह है, काहे करत गुमान,

पर सेवा उपकार कर ,तब हीं पावे मान ।

2- ) सुत, दारा अरु बन्धु सब, स्वारथ को संसार,

भज लो साईं राम को, खुद का जनम संभार

3- ) मन मैला तन साफ है, क्यों फैलाये जाल ,

हरी को भावत साफ मन, लिखलो अपने भाल ।

4-) मंदिर, पूजा ,यज्ञ,तप, ऊपर का व्यापार ,

मन मंदिर नित झाढ़ लो, पाओगे प्रभु द्वार

5-) चौरासी भटकत फिरयो,खूब मिलो परिवार ,

कटु वचनन कों बोल कर, करते रहे बिगार

6-)आखें जन का आईना, देखो तो चितलाय,

ह्रदय की लौ जान सब, बिना कछु किये उपाय ।

7- ) दीपक उर का बार कें, बैठी सांझ सकार ,

हरी आवन कि वाट में, नैना थके हमार ।

8-) प्रभु का माया जाल है, समझो वाकी चाल ,

जाके उसके सामने, कहना होगा हाल ।

कल्पना मिश्रा बाजपेई

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 978

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by मनोज कुमार सिंह 'मयंक' on March 11, 2014 at 11:20pm

सुंदर है दोहावली, गहन बड़े हैं भाव |
यदि सब इनको मान ले, नहीं रहेगा घाव ||
कहीं कहीं व्यतिरेक है, टंकण का अवरोध |
बहुत बधाई आपको, थोडा कर लें शोध ||
आदरणीया इस प्रथम प्रयास में ही आपने भक्ति को सुन्दर ढंग से मंडित किया है..

Comment by S. C. Brahmachari on March 11, 2014 at 10:08pm
बहन कल्पना मिश्रा बाजपेयी जी
प्रथम प्रयास मे ही आपके हाथ आठ सुंदर मोती दोहों के रूप मे आए हैं , हार्दिक बधाई !
मन मंदिर नित झाड लो प्रभु पाओगे द्वार - क्या बात है - सभी दोहे एक से बढ़कर एक । भविष्य मे सागर से मोती चुन चुन कर लाती रहें - शुभ कामनाएँ स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Sunday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Saturday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Saturday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service