कह मुकरियाँ “ – पाँच
*******************
मुझे छोड़ वो कहीं न जाये
इधर उधर की सैर कराये
साथ रहे जैसे हो धड़कन
क्या सखि साजन , नहीं सखि मन
मुझको सच्ची राह दिखाये
सही गलत वो मुझे सुझाये
मै, जाँ कह दूँगी, नहीं शरम
क्या सखि साजन . नहीं सखि धरम
जीते जी वो साथ न छोड़े
मर जाऊँ तो पीछे दौड़े
कर देता मेरी आँखें नम
क्या सखि साजन , नहीं रे करम
मुझको हरदम राह भुलाये
पूछो तो कुछ नहीं बताये
जैसे कोई उठाई क़सम
क्या सखि साजन , नहीं सखि भरम
पास रहे तो बहुत सताये
बिना आग भी खूब जलाये
सब उल्टा कर दे रहन सहन
क्या सखि साजन , नहीं सखि जलन
मौलिक एवँ अप्रकाशित ( संशोधित )
Comment
बहुत ही सुन्दर कह मुकरियां कही आपने आदरणीय .. बहुत बधाई ..
छोटे भाई गिरिराज ,
अच्छा प्रयास है , प्रवाह कहीं -कहीं बाधित है।
आदरनीया , मीना जी , सही मे मात्रा गिनने मे ग़लती हुई है ,आपका हार्दिक आभार , मै सुधार कर लेता हूँ ॥ सराहना के लिये आपका शुक्रिया ॥
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online