बह्र : १२२२ १२२२ १२२२ १२२२
कहीं भी आसमाँ पे मील का पत्थर नहीं होता
भटक जाता परिंदा, गर ख़ुदा, रहबर नहीं होता
कहें कुछ भी किताबें, देश का हाकिम ही मालिक है
दमन की शक्ति जिसके पास हो, नौकर नहीं होता
बचा पाएँगी मच्छरदानियाँ मज़लूम को कैसे
यहाँ जो ख़ून पीता है महज़ मच्छर नहीं होता
मिलाकर झूठ में सच बोलना, देना जब इंटरव्यू
सदा सच बोलता है जो कभी अफ़सर नहीं होता
ये पीली पत्तियाँ, पत्ते हरे आने नहीं देतीं
अगर इनको गिराने के लिये पतझर नहीं होता
-------
(मौलिक एवं अप्रकाशित)
Comment
बहुत बहुत शुक्रिया वीनस जी
बहुत बहुत शुक्रिया डॉ. सूर्या बाली "सूरज" साहब
बहुत बहुत शुक्रिया आशीष नैथानी 'सलिल' जी
ग़ज़ल का मतला बहुत पसंद आया, मकता भी बढ़िया हुआ है
मिलाकर झूठ में सच बोलना, देना जब इंटरव्यू
सदा सच बोलता है जो कभी अफ़सर नहीं होता................व्यस्था के सच ऐसे ही होते हैं
इस उम्दा ग़ज़ल पर हार्दिक बधाई
इस क़ामयाब ग़ज़ल के लिए दिल से बधाई, आदरणीय धर्मेन्द्रजी.
सभी अशआर में गहनता पिरोयी गयी है. लेकिन निम्न अशआर ने वाकई ध्यान खींचा है -
बचा पाएँगी मच्छरदानियाँ मज़लूम को कैसे
यहाँ जो ख़ून पीता है महज़ मच्छर नहीं होता
ये पीली पत्तियाँ, पत्ते हरे आने नहीं देतीं
अगर इनको गिराने के लिये पतझर नहीं होता...
ढेर सारी बधाई स्वीकार करें.
शुभ-शुभ
वाह! बहुत खूब! सभी अशआर बेहतरीन हैं.
यह शेर बहुत ही बेहतरीन है-
//बचा पाएँगी मच्छरदानियाँ मज़लूम को कैसे
यहाँ जो ख़ून पीता है महज़ मच्छर नहीं होता//
आपको बहुत-बहुत बधाई!
क्या लाज़वाब ग़ज़ल कही है हर एक शे'र पर दाद कबूल करें .
अच्छी ग़ज़ल हुई है.. इस शेर पे ख़ास तौर पे दाद देना चाहूँगा.
मिलाकर झूठ में सच बोलना, देना जब इंटरव्यू
सदा सच बोलता है जो कभी अफ़सर नहीं होता
वाह भाई आपके अपने अंदाज़ की ग़ज़ल है
ढेरो दाद
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online