मेरी मृत्यु नहीं हुई थी,
इसलिए बिछड़ी नहीं
हमेशा के लिए |
उसने मुझे रहने को
दे दिया बड़ा सा वृद्धाश्रम
कई लोगों के साथ में
कई सालों के लिए
घर से बस थोड़ी सी दूर|
जो रहा था
बस नौ महीने
अकेला
मेरी छोटी सी कोख में |
** मौलिक और अप्रकाशित
Comment
गागर में सागर को चरितार्थ करती मार्मिक रचना प्रस्तुत करने के लिए बधाई श्री चंद्रेश जी
आज के ज्वलंत मुद्दे को चंद शब्दों में बाखूबी बयाँ किया ,एक माँ/नारी/स्त्री की जीवन दशा का मार्मिक चित्रण प्रस्तुत किया है रचना में.बहुत- बहुत बधाई
अति मर्मस्पर्शी, आँखे नम हो गई .आपकी लेखनी को नमन आदरणीय चंद्रेश जी
बहुत मार्मिक चित्रण , सुंदर रचना , बधाई आपको ।
बहुत मार्मिक चित्रण.....कितना दर्द इन चंद शब्दों में......
जो रहा था
बस नौ महीने
अकेला
मेरी छोटी सी कोख में |.....सादर
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