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यह जीवन का चक्र है,पतझड़ फिर मधुमास!
बस कुछ दिन की बात है,हो क्यों मित्र उदास!!

नेता नित नित गढ़ रहे ,नये नये भ्रमजाल !
जनता भूखों मर रही,इनकी मोटी खाल !!

स्वाभिमान को बेचकर,क्रय कर लाये लोभ!
जानबूझकर ढो रहे,केवल कुंठित क्षोभ!!

झूठा ही इक बार तो,कर दो यूँ इकरार!
जीवित हो जाऊँ पुनः,कह दो मुझसे प्यार!!

माना तुमको है नहीं,अब तो मुझसे प्यार!
किया करो हँसकर कभी,बातें ही दो चार!!
*****************************************
मौलिक/अप्रकाशित

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Comment by ram shiromani pathak on May 10, 2014 at 7:21pm

पोस्ट पर विलम्ब से आने के लिये क्षमा प्रार्थी हूँ आदरणीय /////// हार्दिक आभार आदरणीय सौरभ  जी,,,,,,,,,,सादर  

Comment by ram shiromani pathak on May 10, 2014 at 7:20pm

हार्दिक आभार आदरणीय लक्ष्मण  जी,,,,,,,,,,सादर  


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 2, 2014 at 12:30am

भाई राम शिरोमणि ! पहले दोहे के बाद मैं इस पोस्ट से निकलने वाला था. आपको मालूम हो गया होगा कि क्यों !  कि तबतक आगे के दोहों पर दष्टि पड़ी और .. सुबहान अल्लाह ! दिल खुश कर दित्ता जी.. बधाई जी बधाई..

जमे रहो भइया.. लिखते रहें ..

शुभ-शुभ

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 21, 2014 at 9:55am

सुन्दर और सार्थक दोहे रचे है हार्दिक बधाई श्री राम भाई 

Comment by ram shiromani pathak on April 21, 2014 at 9:37am

हार्दिक आभार आदरणीय भाई अरुण जी..........   सादर  

Comment by ram shiromani pathak on April 21, 2014 at 9:37am

हार्दिक आभार आदरणीया गीतिका  जी..........   सादर  

Comment by ram shiromani pathak on April 21, 2014 at 9:36am

हार्दिक आभार आदरणीया सरिता जी..........   सादर  

Comment by ram shiromani pathak on April 21, 2014 at 9:36am

हार्दिक आभार आदरणीय गिरिराज जी..........   सादर  

Comment by ram shiromani pathak on April 21, 2014 at 9:35am

हार्दिक आभार भाई नीरज जी..........   सादर  

Comment by ram shiromani pathak on April 21, 2014 at 9:34am

हार्दिक आभार भाई जीतेन्द्र जी..........   सादर  

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