मनोरम छंद
(संक्षिप्त विधान : मनोरम छंद चार पक्तियों या पदों का वर्णिक छंद है. जिसके प्रत्येक पद में चार सगण और अंत में दो लघु वर्ण / अक्षर का विधान हैं।)
लगती छबि मीत !
लगती छबि मीत मुझे मन भावन।
मन चंद चकोर समान लुभावन।।
मन प्रीत रिसे सुख पाय सुहावन।
अँखियाँ बरसे झिमके जिमि सावन।१।
चुपके पहले पिय नैन लड़ावत।
फिर नैन लडे हिय गेह बसावत।।
बस जात हिया फिर नींद चुरावत।
सुख चैन चुरा दिन रैन जगावत।२।
मन बालगुडी नभ माहिं उडावत।
कबहूँ मन की पिय नाँव चलावत।।
रस की बतियाँ मन में छलकावत।
फिर क्यूँ छलिया मन मोर पुकारत।३।
सत्यनारायण सिंह
मौलिक और अप्रकाशित
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चुपके पहले पिय नैन लड़ावत।
फिर नैन लडे हिय गेह बसावत।।
बस जात हिया फिर नींद चुरावत।
सुख चैन चुरा दिन रैन जगावत।२।...............अहा! अहा! बहुत सुन्दर
मनोरम छंद पर सुन्दर प्रयास ..सुन्दर प्रस्तुति
हार्दिक बधाई आ० सत्यनारायण सिंह जी
आ. बृजेश जी सादर प्रोत्साहन एवं बधाई हेतु आपका ह्रदय से आभार आदरणीय.
आ. जीतेन्द्र जी रचना आपको सुन्दर एवं भावपूर्ण लगी जानकर मन उत्साहित है अतएव आपका सादर आभार आदरणीय.
रचना को खूबसूरत बताकर आपने जो मान दिया है अतएव आपका सादर आभार आदरणीय
आ. कुन्ती जी बधाई एवं उत्साहवर्धन हेतु आपका सादर आभार आदरणीया
आ.सुशिल सरना जी प्रोत्साहन एवं बधाई हेतु आपका ह्रदय से आभारी हूँ. आदरणीय.
सुन्दर छंद! आपको हार्दिक बधाई!
अति सुंदर भाव, बधाई आदरणीय सत्यनारायण जी
इस खूबसूरत रचना के लिये दिली दाद कुबूल करें................ |
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