सारे नेता खेलते
सारे नेता खेलते, आज चुनावी खेल।
सत्ता के इस रूप में, द्रुपद सुता का मेल।।
द्रुपद सुता का मेल, पांडु सुत लगती जनता।
नेता शकुनी दाँव, चाल वादों की चलता।
लोक लुभावन खूब, लगाते ये हैं नारे।
चौसर बिछी बिसात, खेलते नेता सारे।१।
हांथी तीर कमान तो,कहीं हाँथ का चिन्ह।
कमल घडी औ साइकिल,फूल पत्तियाँ भिन्न।।
फूल पत्तियाँ भिन्न,दराती कहीं हथोडा।
झाड़ू रही बुहार,उगा सूरज फिर थोडा।।
देख चुनावी रंग, ढंग अपनाता साथी।
मर्कट सा व्यवहार,करे सर्कस का हांथी।२।
नोटा बटन दबाइये, सेवक हों ना योग्य।
वोट उसे ही दीजिये, चुन प्रत्याशी योग्य।।
चुन प्रत्याशी योग्य, कुशल कर्मठ विश्वाशी।
सेवाभावी अंग, प्रशासक गुण अनुशाशी।।
कहता सत्य पुकार,चले ना सिक्का खोटा।
करिये सफल प्रयोग, विफल ना होगा नोटा।३।
मौलिक व अप्रकाशित
Comment
आ. अखिलेश जी एवं आ. डॉ, आशुतोष जी
प्रस्तुति पर उत्साहवर्धक टिप्पणी हेतु आपका ह्रदय से आभार आदरणीय
आदरणीय श्याम नारायण जी वर्तमान परिप्रेक्ष्य पर लिखी इस शानदार रचना के लिए तहे दिल बधाई सादर
आदरणीय सत्यनारायण् भाई
सुंदर सामयिक चुनावी छंद की हार्दिक बधाई , अच्छी सलाह और अच्छा व्यंग भी है
आ. रमेशजी रचना की प्रशंशा एवं बधाई हेतु आपका ह्रदय से आभार प्रकट करता हूँ आदरणीय.
आ. श्याम नारायण जी बधाई एवं उत्साहवर्धन हेतु आपका हृदय से आभारी हूँ. आदरणीय.
आ. कल्पना रामानी जी प्रस्तुति पर आपका मुखर अनुमोदन एवं बधाई हेतु आपका सादर आभार आदरणीया.
समसमायिक विषय पर आपने सुंदर कुण्ड़लि की रचना की है बधाई हो आदरणीय सत्यनारायणजी
|
आदरणीय सत्यनारायन जी, चुनावी माहौल में बहुत सुंदर और प्रभावी छंद रचे हैं आपने पढ़कर बहुत आनंद आया। मेरी हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिये।
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online