For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

इधर-उधर की न कर, बात दिल की कर साक़ी

सुहानी रात हुआ करती मुख़्तसर साक़ी ||

खिला-खिला है हर इक फूल दिल के सहरा में
तुम्हारे इश्क़ का कुछ यूँ हुआ असर साक़ी ||

अजीब दर्दे-मुहब्बत है ये शकर जैसा
जले-बुझे जो सितारों सा रातभर साक़ी ||

उतार फेंक हया शर्म के सभी गहने
कि रिस न जाए ये शब, हो न फिर सहर साक़ी ||

है बरकरार तेरा लम्स* मेरे होंठों पर
कि जैसे ओंस की इक बूँद फूल पर साक़ी ||

ख़ुदा से और न दरख़ास्त एक तेरे सिवा
तेरी निगाह में हो ज़िन्दगी बसर साक़ी ||

लम्स - स्पर्श

अरकान - १२१२ ११२२ १२१२ ११२/२२
(मौलिक और अप्रकाशित)

Views: 836

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Maheshwari Kaneri on May 5, 2014 at 6:40pm

बहुत सुंदर गजल आदरणीय आशीष जी।

Comment by कल्पना रामानी on May 3, 2014 at 8:29pm

बहुत सुंदर गजल के लिए बहुत बहुत बधाई आपको आदरणीय आशीष जी


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on May 2, 2014 at 10:27pm

आदरणीय आशीष भाई , खूब सूरत गज़ल कही है , आपको दिली बधाइयाँ ॥

Comment by Vindu Babu on May 2, 2014 at 7:36pm

अच्छी गज़ल कही है आदरणीय आशीष जी।

हार्दिक बधाई आपको।

सादर

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on May 2, 2014 at 2:27pm

है बरकरार तेरा लम्स* मेरे होंठों पर
कि जैसे ओंस की इक बूँद फूल पर साक़ी.............वाह! बेहद खुबसूरत, दिली बधाई आदरणीय आशीष जी

Comment by coontee mukerji on May 2, 2014 at 3:08am

उतार फेंक हया शर्म के सभी गहने
कि रिस न जाए ये शब, हो न फिर सहर साक़ी ||......लाजवाब.

Comment by umesh katara on May 1, 2014 at 5:13pm

है बेकरार तेरा लम्स मेरे होंठों पर
कि जैसे ओस की इक फूल पर साकी-------वाहहहहहहहहहह वाहहहहहहह

Comment by Dr Ashutosh Mishra on May 1, 2014 at 3:29pm

उतार फेंक हया शर्म के सभी गहने 
कि रिस न जाए ये शब, हो न फिर सहर साक़ी ||...

है बरकरार तेरा लम्स* मेरे होंठों पर
कि जैसे ओंस की इक बूँद फूल पर साक़ी ||..आशीष जी बढिया ग़ज़ल हुई है  हर शेर उम्दा पर ये दो मुझे बेहद भाये ..सादर 

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on May 1, 2014 at 2:37pm

अच्छी गज़ल हुई है आशीष भाई , हार्दिक बधाई 

Comment by Meena Pathak on May 1, 2014 at 1:09pm

बहुत सुन्दर .. बधाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"सभी सदस्यों से रचना-प्रस्तुति की अपेक्षा है.. "
41 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। लम्बे अंतराल के बाद पटल पर आपकी मुग्ध करती गजल से मन को असीम सुख…"
21 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Nov 17

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service