For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मजदूर

---------

चौक में लगी भीड़

मै चौंका , कहीं कोई घायल

अधमरा तो नहीं पड़ा

कौतूहल, झाँका अन्दर  बढ़ा

वापस मुड़ा कुछ नहीं दिखा

'बाबू' आवाज सुन

पीछे मुड़ा

इधर सुनिये !

उस मुटल्ले  को मत लीजिये

चार  चमचे साथ है जाते

दलाल है , हराम की  खाते

एक दिन का काम

चार दिन में करेगा

नशे में दिन भर बुत रहेगा

बच्चे को बुखार है

बीबी बीमार है

रोटी की जरुरत हमें है बाबू

हम हैं, हम साथी ढूंढ लेंगे

मजदूरी भले बीस कम- देना

कुछ बीड़ी  फूंकते

तमाखू ठोंकते

कुछ खांसते हाँफते

कुछ हंसी -ठिठोली करते

चौक को घेर खड़े थे

मानों कोई अदालत हो

निर्णय लेगी

फैसला रोटी के हक़ का

आँख से पट्टी हटा देखेगी

टूटी -फूटी साइकिलें

टूटी  -सिली चप्पलें

पैरों में फटी विवाई

मैले -कुचैले कपडे

माथे पे पड़ी सिलवटें

घबराहट

मजदूर बिकते हैं

श्रम भूखा रहता है

बचपन बूढा हो रहा

कहीं बाप सा बूढा

कमर पर हाथ रखे

सीधे खड़े होने की कोशिश में लगा

 

एक के पीछे , चार भागते

फिर मायूस , सौदा नहीं पटा 

काश कोई मालिक मिलता

चना गुड खिलाता 

चाय पिलाता

नहीं तो भैया , काका बोलता

बतियाता व्यथा सुनता

और शाम को हाथ में मजदूरी ...

किस्मत के मारे बुरे फंसे

कंजूस सेठ से पाला पड़ा

बीड़ी पीने तक की मोहलत नहीं

झिड़कियां , गालियां पैसा कटा -

मिल जाएँ तो अहसान लदा 

कातर नजरें मेरा मन कचोट गयीं

मैंने बड़ी दरियादिली का काम किया

बीस  रुपये निकाल हाथ में दिया

खा लेना , काका मै चला

बाबू ! गरीब के साथ मजाक क्यों ?

किस्मत भी ,आप भी, सभी

काम दीजिये नहीं ये बीस ले लीजिये

भूखे पेट का भी सम्मान है

अभिमान है श्रम का

मै सोचता रहा

और वो अपनी पोटली खोल

एक कोने में बैठ गया

कुछ दाने, चबाने- खाने

न जाने क्यों

मेरे कानों में शब्द गूंजते रहे

काम दीजिये

काम दीजिये

बच्चे को बुखार है

मजदूर इतने ..

मजबूर कितने ......

================

"मौलिक व अप्रकाशित" 

सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर ५

११.१५-११.४५ मध्याह्न

२६.२.२०१४

करतारपुर जालंधर पंजाब

Views: 718

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on May 6, 2014 at 8:42am

चौक में सुबह सवेरे मजदूरों के समूह को हर कोइ ही देखता होगा ..आपकी संवेदनशीलता नें उस भीड़ को चीरते हुए मजदूर की बेबसी को उसके मन को झाँक प्रस्तुति में अभिव्यक्त किया 

इस सार्थक अभिव्यक्ति पर आपको हार्दिक बधाई 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on May 3, 2014 at 10:14am

मजदूर की मज़बूरी को बयाँ करती मार्मिक रचना | बहुत सुन्दर ! हार्दिक बधाई श्री सुरेन्द्र कुमार शुक्ल जी 

Comment by annapurna bajpai on May 2, 2014 at 2:01pm

बहुत सुंदर रचना , बधाई आपको इस मोहक रचना के लिए ,आ0 भ्रमर जी ।

Comment by Sarita Bhatia on May 2, 2014 at 8:58am

आदरणीय सुरेंदर भाई आपने तो मजदूर की व्यथा का क्या हालिया ब्यान किया है नतमस्तक हो गई हूँ आपकी सोच कहाँ तक आपको ले गई 

Comment by coontee mukerji on May 2, 2014 at 3:22am

दिहाड़ी मज़दूरों का हकीकत.....बहुत मार्मिक रचना है...आपकी दृश्टि कहाँ तक चली गयी है. इनके बारे में आजकल सोचता कौन है....आपको अनेक साधुवाद.

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on May 1, 2014 at 10:45pm

बहुत ही प्रभाव शाली रचना , हार्दिक बधाई आपको आदरणीय सुरेन्द्र जी

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on May 1, 2014 at 6:24pm

आदरणीय गिरिराज भाई हमारे श्रमिको के दयनीय हालात पर आप ने गहराई से सोचा काश सभी इस तरफ ऐसे सोचें और पेश आएं ... आप ने रचना को सराहा अच्छा लगा
भ्रमर ५

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on May 1, 2014 at 6:22pm

आदरणीय डॉ आशुतोष जी ..हमारे श्रमिकों की व्यथा ने आप के मन को छुवा और आप ने रचना को सराहा अच्छा लगा
भ्रमर ५


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on May 1, 2014 at 5:24pm

आदरणीय सुरेन्द्र भाई , आज श्रमिक दिवस पर बहुत सार्थक समस्या पर आपने ध्यान दिलाया है , बहुत दुखद है , वर्षों से समस्या वहीं की वहीं है .हल कुछ नही है , आपको सार्थक रचना के लिये बधाई ॥

Comment by Dr Ashutosh Mishra on May 1, 2014 at 1:16pm

सुंदर प्रस्तुति ..हारदिक बधाई ..सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"कहाँ कुछ मंज़िलों से याद आया सफ़र बस रास्तों से याद आया. मतले की कठिनाई का अच्छा निर्वाह हुआ।…"
12 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. भाई चेतन जी , सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई। "टपकती छत हमें तो याद आयी"…"
1 hour ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"उदाहरण ग़ज़ल के मतले को देखें मुझे इन छतरियों से याद आयातुम्हें कुछ बारिशों से याद आया। स्पष्ट दिख…"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
1 hour ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"सहमत"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ.भाई जयहिंद जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। गुणीजनो के सुझावों से यह और निखर गयी है। हार्दिक…"
1 hour ago
Gurpreet Singh jammu replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"मुशायरे की अच्छी शुरुआत करने के लिए बहुत बधाई आदरणीय जयहिंद रामपुरी जी। बदलना ज़िन्दगी की है…"
8 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय शिज्जु "शकूर" जी, पोस्ट पर आने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
10 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"पगों  के  कंटकों  से  याद  आयासफर कब मंजिलों से याद आया।१।*हमें …"
13 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय नीलेश जी सादर अभिवादन आपका बहुत शुक्रिया आपने वक़्त निकाला मतला   उड़ने की ख़्वाहिशों…"
13 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"उन्हें जो आँधियों से याद आया मुझे वो शोरिशों से याद आया अभी ज़िंदा हैं मेरी हसरतें भी तुम्हारी…"
14 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. शिज्जू भाई,,, मुझे तो स्कॉच और भजिये याद आए... बाकी सब मिथ्याचार है. 😁😁😁😁😁"
16 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service