1222/ 1222/ 1222/ 1222
यूँ ही सोचा ज़माने की रविश भी जान ली जाये
पसे तस्वीर सूरत किसकी है पहचान ली जाये पसे तस्वीर= तस्वीर के पीछे
ज़रा देखूँ कि सच कितना है तेरे इन दिखावो में
चलो कुछ देर को तेरी कही भी मान ली जाये
कभी तो आप अपने तज़्रिबे से तौलें सच्चाई
ज़रूरी तो नहीं है हाथ में मीज़ान ली जाये मीज़ान =तराजू
नहीं लगती मुझे अनुकूल मौसम की तबीयत क्यूँ
बरस जायें न ओले जल्द ही छत तान ली जाये
घिरे हैं आफतों से इन दिनों अंजाम जो भी हो
हर इक दम सामना करने की दिल में ठान ली जाये
(मौलिक व अप्रकाशित)
Comment
आदरणीय सौऱभ सर रचना की सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार
मैंने गलती सुधार ली है बहुत बहुत शुक्रिया स्नेह यूँ ही बनाये रखें
वाह वाह शिज्जू भाईजी. दिल से दाद कुबूल करें
कुछ इक बातों.. नहीं कुछ इक बात कहना सही है.
विश्वास है, आप इस व्याकरणीय दोष को एक बार देख कर मुझे भी सूचित करेंगे. ताकि मैं भी संयत हो सकूँ.
शुभ-शुभ
आपका हार्दिक आभार भाई आशीष जी
वाह, खूबसूरत ग़ज़ल कही है भाई शिज्जु जी !!
दाद क़ुबूल कीजिये !
आदरणीय अरुण सर आपका हार्दिक आभार
कुछ इक बातों को अपने तज़्रुबे से तौल के देखें
ज़रूरत क्या कि अपने हाथ में मीज़ान ली जाये
वाह, वाह !!!!!!!!!!!!!!!!! उम्दा गज़ल....बधाई.................
आ0 शिज्जू भाईजी, मेरे भी ख्याल में कुछ ऐसा ही विचार आया था। मार्गदर्शन के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद सहित आपका हार्दिक आभार। सादर,
आपका हार्दिक आभार आदरणीय केवल प्रसाद जी आप सही हैं कुछ और हर की मात्रा गिरा के नही पढ़ा जा सकता दरअस्ल मैंने अलिफ वस्ल का प्रयोग किया है जैसे कुछिक, हरिक
आ0 शिज्जू भाईजी, वाह बहुत खूब गजल कही है। हार्दिक बधाई स्वीकारें। किन्तु भाईजी कृपया मार्गदर्शन करे कि क्या 'कुछ' और 'हर' को गिरा कर 1 मात्रा में पढ़ा जा सकता है। सादर,
आदरणीया कुंती जी रचना की सराहना के लिये आपका बहुत बहुत शुक्रिया
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online