ईश्वर होना चाहता भी हूँ या नहीं
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आज पूजा जा रहा हूँ ।
दूर दूर से आ कर
नत मस्तक हो हज़ारों हज़ारों भक्त
दुआयें मांगते हैं , चढ़ावे चढ़ाते हैं ,
अपनी अपनी मुरादों के लिये ।
उनकी अटूट ,गहरी आस्थाओं ने, विश्वासों ने
सच में ज़िन्दा कर दिया है
मेरे अंदर , ईश्वरत्व ,
वो ईश्वरत्व
जो सारे ब्रम्हांड के कण कण में है ।
पूरी हो रहीं है मुरादें भी,
पर ,
कैसे कहूँ मै शुक्रिया उन हाथों का
जिनके सिद्ध हस्त प्रहारों ने
संतुलित , प्रेम पूर्ण प्रहारों ने
मुझे पत्थर से भगवान बनाया
कैसे करूँ मै धन्यवाद , क्योंकि ,
मै अनगढ़ ,
अपने प्राकृतिक रूप में ,
जैसा मुझे परम सत्ता ने बनाया था
जादा खुश था , शायद
किसी ने पूछा ही नही मुझसे,
कि , मै ,
ईश्वर होना चाहता भी हूँ या नहीं
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मौलिक एवँ अप्रकाशित
Comment
आदरणीय सौरभ भाई , सराहना और उत्साह वर्धन के लिये आपका बहुत बहुत आभार , मुझे अपनी ग़लतियों का आभास है , अभाई आपलोगों से बहुत कुछ सीखना है , प्रयास करते रहता हूँ , ऐसे ही सलाह और सीख आपसे , आ. बृजेश भाई से मिलती रहे ,धीरे ध्रीरे सुधार हो जायेगा ॥
बृजेश भाई की सार्थक बातें आगे की रचनाओं में काम आयेंगी, इसका विश्वास है. आपकी रचनाधर्मिता और संलग्नता अभिभूत करती है आदरणीय.
जिन गहन अनुभूतियों के कारण यह कविता हुई है, उन अनुभूियों को नमन.
सादर
भाव बड़ी खूबसूरती से उभर के आये हैं आपकी इस कविता पर हुई सार्थक चर्चा ने उत्सुकता और बढ़ा दी है। इस रचना के लिये हार्दिक बधाई स्वीकार करें
आदरणीय बड़े भाई , रचना की सराहना के लिये आपका आभार ॥
आदरणीय जीतेन्द्र भाई , रचना की सराहना और उत्साह वर्धन के लिये आपका शुक्रिया !!
आदरणीय अरुण भाई , रचना की सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार !!
आदरनीय बृजेश भाई , बुखार आ जाने के कारण आपकी बहुमूल्य प्रतिकृया देर से देख पाया , क्षमाप्रार्थी हूँ ॥ अतुकांत रचना के विषय मी आपकी सटीक सलाह के लिये आपका आभारी हूँ । ऐसे ही स्नेह और सीख सदा देते रहियेगा ॥
छोटे भाई गिरिराज
अच्छी रचना , हार्दिक बधाई
आदरणीय गिरिराज जी , जैसे आपकी गजलों मेँ गहन भाव पढ़ने को मिलते है वैसे ही अतुकांत में भी. बहुत बहुत बधाई आपको
आदरणीय गिरिराज जी, संभवत:पहली बार आपको अतुकांत लिखते देख रहा हूँ, शानदार रचना हेतु बधाई...
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