2122 2122 2122 2
अब हवा है , कोयला दहके तो अच्छा है
देख ले ये बात भी कहके तो अच्छा है
खूब झेला पतझड़ों को, अब कोई कोना
इस चमन का भी ज़रा महके तो अच्छा है
सीलती सी, उस अँधेरी झोपड़ी में भी ,
देखते हैं आप जो रहके , तो अच्छा है
कहकहा केवल नहीं अनुवाद जीवन का
दर्द भी आकर कभी चहके , तो अच्छा है
ज़िन्दगी बेस्वाद लगती है लकीरों में
अब क़दम थोड़ा अगर, बहके तो अच्छा है
इन सजावट के सभी हर्फों को झूठा मान
झाँक नीचे, ऊपरी तह के तो अच्छा है
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मौलिक एवँ अप्रकाशित ( संशोधित )
Comment
आदरणीया प्राची जी , आपकी प्रशंसा ने मेरा गज़ल कहना सफल कर दिया , सराहना के लिये आपका तहे दिल से शुक्रिया
आदरणीय गिरिराज भंडारी जी
आपकी गजलों का कहन अपने साथ बाँध लेता है...... बहुत सुन्दर अश'आर हुए हैं ...हर शेर एक गहरा एहसास है
बहुत खूब
मेरी ढेर सारी बधाई लीजिये इस सुन्दर ग़ज़ल पर
आदरणीय सौरभ भाई , आपकी ग़ज़ल पर ऐसी उत्साह वर्धक प्रतिक्रिया ने आज मुझे बहुत बड़ी खुशी दी है ॥ आपका तहे दिल से आभारी हूँ ॥
क्या ग़ज़ब !
कहकहा केवल नहीं अनुवाद जीवन का
दर्द भी आकर कभी चहके , तो अच्छा है
ज़िन्दगी बेस्वाद लगती है लकीरों में
अब क़दम थोड़ा अगर, बहके तो अच्छा है
इन सजावट के सभी हर्फों को झूठा मान
झाँक नीचे, ऊपरी तह के तो अच्छा है
क्या बढिया अश’आर हुए हैं.. दाद कुबूल करें आपकी ग़ज़लों की प्रतीक्षा रहने लगी है अब, आदरणीय ..
सादर
आदरणीय अरुण निगम भाई , आपकी आत्मीय सराहना ने मेरी मेहनत सफल कर दी , आपका हार्दिक आभार ॥
आदरणीय शिज्जू भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिये आपका तहे दिल से शुक्रिया ॥
आदरणीय गिरिराज जी, हर शेर लाजवाब , सीधे सीधे दिल में उतरता हुआ....बधाई हो.......
कहकहा केवल नहीं अनुवाद जीवन का
दर्द भी आकर कभी चहके , तो अच्छा है
ज़िन्दगी बेस्वाद लगती है लकीरों में
अब क़दम थोड़ा अगर, बहके तो अच्छा है
वाह, वाह, वाह !!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!
बहुत बढ़िया आदरणीय गिरिराज सर बहुत बहुत बधाई आपको
आदरणीय बड़े भाई गोपाल जी , सराहना के लिये आपका आभार ॥
आदरणीय गुमनाम भाई , आपका दिली शुक्रिया ॥
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