तुझे अपनी ज़िंदगी में इस तरह शामिल कर लूँ मैं,
कि तू मेरे पास न भी हो तो तेरा दम भर लूँ मैं।।
हर घड़ी रहता है इन आँखों को इन्तज़ार तेरा,
जो तू आये तो तुझे अपनी आँखों में क़ैद कर लूँ मैं।
तेरे तसव्वुर में डूबी हैं तन्हाइयाँ और ज़िंदगी मेरी,
ग़र तुझे पा लूँ तो अपनी हर हसरत पूरी कर लूँ मैं।
तेरी बाँहों में आज पिघल जाने को जी चाहता है,
तेरे सीने से लगकर हमेशा को आँखें बंद कर लूँ मैं।
इस ज़िन्दगी में इक बार तो मिल जा आकर तू,
जो तुझे देख लूँ तो ख़ुशी से आख़िरी साँस भर लूँ मैं।
तमन्ना यही है कि तेरी रूह से मिल जाये मेरी रूह,
जो ऐसा हो जाये तो अपनी हर चाहत पूरी कर लूँ मैं।
मेरी ज़िंदगी में आकर तू इस तरह शामिल हो जा,
कि तेरे साथ ही जी लूँ और तेरे बिना मर भी लूँ मैं।
'सावित्री राठौर'
[मौलिक एवं अप्रकाशित]
Comment
बहुत सुंदर गजल आदरणीया सावित्री जी, बधाई आपको
आ० प्रदीप जी,आपका बहुत बहुत आभार !
आदरणीया सावित्री जी
सादर
गजल के भाव बहुत सुन्दर .
बधाई
bahut sundar
आ० शिज्जू जी, आपका बहुत -बहुत आभार !
आ० कुंती जी,सादर नमस्कार!आपका हृदय से आभार!
समयाभाव और कुछ तकनीकी खराबी के कारण इतने लम्बे समय तक ओ बी ओ से दूर रही,जिसका मुझे स्वयं खेद है।
अच्छी प्रस्तुति है आदरणीया सावित्री जी बहुत बहुत मुबारक बाद आपको
बहुत सुंदर प्रस्तुति सावित्री जी.....आप तो ओ बी ओ के आकाश में ईद के चाँद की तरह झलक दिखलाती है. सादर
आ० श्यामनारायण जी,मुकेश जी,सुशील जी और कनेरी जी ,मेर उत्साहवर्धन हेतु आप सभी का बहुत - बहुत आभार !
आदरणीया सावित्री जी..बहुत सुन्दर ...बधाई
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