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तेरी गोद में सोकर
कितना सकून मिलता है माँ
प्यार भरा हाथ सहलाती हो जब
दर्द ना जाने कहाँ हो जाता है गुम
तुम हो मेरे पास तो मुझे लगता नही डर
तेरी ममता की छांव मिलती रहे मुझे
मेरी तो बस है इतनी सी तमन्ना

मौलिक व अप्रकाशित

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Comment by अरुन 'अनन्त' on May 16, 2014 at 10:33am

माँ की ममता का कोई सानी नहीं आदरणीया बहुत ही सुन्दर रचना बधाई स्वीकारें.

Comment by Dr Ashutosh Mishra on May 15, 2014 at 4:21pm

वाकई माँ की ममता और आँचल की छाँव से बढ़कर दुनिया में कुछ भी नहीं ..दिल को छू लेने वाली रचना के लिए मेरी तरफ से हार्दिक बधाई सादर

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on May 15, 2014 at 9:23am
माँ की सुखद छाँव की अनुभूति करती रचना के लिए बधाई
Comment by Meena Pathak on May 12, 2014 at 10:06pm

सुन्दर ... बधाई 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on May 12, 2014 at 9:51am

बहुत बहुत बधाई आदरणीया प्रज्ञा जी

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