For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सिसकियाँ भरते रहे हम रात भर

सिसकियाँ भरते रहे हम रात भर
चाँद ने भी देखा पर कुछ ना कहा
हवाएँ भी सुनकर चलती रही
दर्द सीने में लहरों सा उठता रहा
चाँदनी बादलों में छुपने लगी
सांस भी रह-रह कर रूकने लगी
सिर्फ बची मैं और मेरी तन्हाईयाँ
यादें करती रही पीछा बनकर परछाइयाँ
घटाओं ने समझा दर्द बस मेरा
बरसती रही वो रात भर
जख्म रिस-रिस कर ऐसे बहने लगे
घाव मरहम की ख्वाहिश में सहने लगे
पिघलकर रूह बिछने लगी
साया भी खुद से सहमने लगा
लौ जलती रही मगर तेल कम था
एक चमक सी उठी और दिया बुझ गया

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 561

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 7, 2014 at 12:02am

रनाकर्म को सतत करें आदरणीया, बहुत से पहलू सामने खुलेंगे.

शुभेच्छाएँ


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on June 26, 2014 at 3:26pm

आदरणीया प्रज्ञा श्रीवास्तव जी 

दर्द की अति और कोइ समझने वाला न हो ...कोइ दिलासा दे कर सम्हालने वाला न हो.. न कोइ इंसान , न प्रकृति.... ऐसे नैराश्य में भी एक रौशनी की किरण अवश्य ही कहीं ना कहीं ज़रूर रहती है..... जिसे हम ही देखना नहीं चाहते या फिर देख कर भी अनदेखा कर देते हैं..

काव्य का लक्ष्य उस किरण की ओर पाठक के लिए इशारा करना होना चाहिए. अन्यथा निराशावादी कवितायेँ कईयों को अपने ही मन की बात लगती सी एक गलत सन्देश दे जाती हैं. 

सकारात्मकता से ही ह्रदय में जीवन संचार होता है... और ये चयन हमेशा ही मनुष्य के हाथ में होता है.

इस अभिव्यक्ति के लिए मेरी शुभकामनाएं 

सस्नेह 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on June 22, 2014 at 10:20am

बहुत सुंदर भावपूर्ण रचना आदरणीया प्रज्ञा जी, हार्दिक बधाई आपको

Comment by वेदिका on June 22, 2014 at 2:48am
सुन्दर प्रस्तुति!
Comment by savitamishra on June 21, 2014 at 11:50pm

बहुत सुन्दर

Comment by Meena Pathak on June 21, 2014 at 10:17pm

बहुत सुन्दर ... भावपूर्ण प्रस्तुति ... सादर बधाई  


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on June 21, 2014 at 11:14am

आ. प्रज्ञा जी , सुन्दर भाव पूर्ण रचना के लिये बधाई ॥

Comment by coontee mukerji on June 19, 2014 at 11:57pm

मैं गोपाल जी की बातों से सहमत हूँ.....प्रयास ज़ारी रखें /सादर.

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on June 19, 2014 at 12:02pm

प्रज्ञा जी

आपकी  दुखांत कविता कई मायने में अच्छी है  किन्तु यदि करुणांत करना था तो पीड़ा को थोडा और उभारना चाहिए था ताकि अंत स्वाभाविक लगे i  कलम पर आपकी पकड़ अच्छी है और विषय से भटकाव नहीं है i  शुभ कामना सहित i

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"टक आ.अजय गुप्ता 'अजेय ग़ज़ल का अच्छा प्रयास किया, आप ने ! शेष आ.अमित जी कह हक चुके हैं ! मुझे…"
42 minutes ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आज है आदमी का नकार आदमी महज़ है वो पैक़र क्षार- क्षार आदमी दे चुका ईसा को सूली सुकरात…"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आदरणीय अजय गुप्ता अजेय जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है बधाई स्वीकार करें, आदरणीय अमित जी ने ख़ूब…"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, तरही मिसरे पर ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें।गुणीजनों…"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"मुहतरमा ऋचा यादव जी आदाब तरही मिसरे पर ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है, गुणीजनों की इस्लाह से ग़ज़ल…"
1 hour ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आदरणीय अजय गुप्ता 'अजेय जी आदाब। ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है बधाई स्वीकार करें। सबको आराम दे भी…"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आदरणीय अजय गुप्ता अजेय जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया, सभी…"
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"मुहतरमा ऋचा यादव जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
2 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"जो गया बीत उसको बिसार आदमीवक़्त आगे का अपना सुधार आदमी सबको आराम दे भी तो दे किस तरहनाते सौ और…"
2 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ.लक्ष्मण सिंह ' मुसाफिर' ग़ज़ल का मतला , कमज़ोर  लगा और, शायद रब्त में नहीं हैं…"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आदरणीय संजय जी  नमस्कार  बहुत ख़ूब ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिए  गुणीजनों की…"
2 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आदरणीय ऋचा जी। अच्छी ग़ज़ल हुई, बधाई स्वीकार करें। बाक़ी सब चर्चा हो ही गई  है। गुनीजनों ने …"
3 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service