2122 2122 2122
तुम ग़ज़ल मेरी मुहब्बत में पगी हो
फूल, कलियाँ,वल्लरी सी ताज़गी हो
तुमको पाकर ये मकाँ घर हो गया है
तुम मेरी सम्पूर्णता की बानगी हो
इन तेरी साँसों से महके प्रेम उपवन
रूप यौवन में बसी इक सादगी हो
पास आकर भी नहीं तुम पास मेरे
दूरियों से क्यूँ न फिर नाराज़गी हो
बिन तेरे ये दिल धड़कना छोड़ देता
आज कहता हूँ मेरी तुम जिंदगी हो
प्यार पाकर दिल नहीं भरता ये मेरा
झील होकर अनबुझी इक तिश्नगी हो
दिल बिछा दूँ मैं जहाँ तू पाँव रख दे
इससे बढ़कर क्या मेरी दीवानगी हो
(मौलिक एवं अप्रकाशित)
Comment
मुकेश वर्मा जी आपको ग़ज़ल पसंद आई ,तहे दिल से आभार आपका |
आ0 लक्ष्मण धामी भाइ जी आपको ग़ज़ल पसंद आई ,तहे दिल से आभार आपका |
भुवन निस्तेज जी आपको ग़ज़ल पसंद आई ,तहे दिल से आभार आपका |
तुमको पाकर ये मकाँ घर हो गया है
तुम मेरी सम्पूर्णता की बानगी हो || वाह !!
पास आकर भी नहीं तुम पास मेरे
दूरियों से क्यूँ न फिर नाराज़गी हो || वाह, बहुत खूब !!
वाह, सुन्दर ग़ज़ल आदरणीया राजेश जी !!
अहा!!!! अहा!!!! आनंद आ गया आदरणीया एक एक अशआर इतनी सुन्दरता से कहे हैं कि वाह मजा आ गया दिल से भर भर कर एक एक शेअर पर ढेर सारी बधाइयाँ.
आदरणीया राजेश जी , खूबसूरत गज़ल कही है , आपको हार्दिक बधाइयाँ ॥
दिल बिछा दूँ मैं जहाँ तू पाँव रख दे
इससे बढ़कर क्या मेरी दीवानगी हो -- वाह !!
अहा। . अहा बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति आदरणीया राजेश कुमारी जी ।बहुत बहुत बधाई आपको। सादर
तुमको पाकर ये मकाँ घर हो गया है
तुम मेरी सम्पूर्णता की बानगी हो
प्यार पाकर दिल नहीं भरता ये मेरा
झील होकर अनबुझी इक तिश्नगी हो
बहुत अच्छी गज़लें कही हैं बधाई स्वीकारें
तुमको पाकर ये मकाँ घर हो गया है
तुम मेरी सम्पूर्णता की बानगी हो
बिन तेरे ये दिल धड़कना छोड़ देता
आज कहता हूँ मेरी तुम जिंदगी हो.................बहुत बहुत उम्दा..क़ाबिले तारीफ़
दिल बिछा दूँ मैं जहाँ तू पाँव रख दे
इससे बढ़कर क्या मेरी दीवानगी हो
आदरणीया राजेश जी
बहुत संजीदगी से लिखा है आपने.. बहुत अच्छा लगा ये ग़ज़ल पढ़कर
तुमको पाकर ये मकाँ घर हो गया है
तुम मेरी सम्पूर्णता की बानगी हो... बहुत खूब आदरणीय राजेश बहन , पूरी ग़ज़ल के लिए डैड कबूलें .
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