सुन री सखी
दो शब्द भी प्रेम के
नही लिखती
चीखें,दर्द कराहें
लिखती हूँ प्रेम से |
उनकी बात
कम नही सजा से
तुम्हारे साथ
बिताये हुए पल
सखी कैसे कहूँ मै |
जीवन मेला
लिए रिश्तों का रेला
जाना था दूर
रह गया अकेला
नयनो में अन्धेरा |
आहूती स्वप्न
साँसों की है सविधा
जीवन यज्ञ
धुँआ हुई भावना
सुलगी हर आस |
मीना पाठक
मौलिक/अप्रकाशित
Comment
आप का कहा अतार्किक लगने का सवाल ही नही है आदरणीय सौरभ सर जी ,, आगे से खयाल रखूँगी
रचना सराहने और मार्गदर्शन हेतु आभार स्वीकारें सर | सादर
आपकी प्रस्तुति सुगढ़ है. हार्दिक बधाई आदरणीया.
चीखें, कराहें जैसे बहुवचन असंगत हैं. उस हिसाब से तो दर्दें भी होने लगेगा.
चीख या कराह भावों का बहुवचन स्वरूप भी हैं.
यदि मेरा कहा अतार्किक लगा हो तो क्षमा कीजियेगा.
सादर
आदरणीय गोपाल नारायन जी, आदरणीय श्याम नारायण जी , सादर आभार स्वीकारें
आदरणीया कुन्ती दी, आप की उत्साहवर्धन करती टिप्पणी हमेशा लिखने को प्रेरित करती है | यूँ ही स्नेह बनाये रखें | सादर
आदरणीय आशुतोष जी ..आदरणीय शिज्जू जी , तहेदिल से आभार स्वीकारें सादर
आदरणीय बृजेश जी त्रुटियों की तरफ इंगित करने हेतु सादर आभार
आदरणीय लाडीवाला जी बहुत बहुत आभार | सादर
अच्छी रचना है! आपको बहुत बधाई!
टंकण त्रुटियों पर ध्यान दें.
सादर!
जीवन मेला
लिए रिश्तों का रेला
जाना था दूर
रह गया अकेला
नयनो में अन्धेरा |- वाह ! बहुत सुन्दर
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online