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हर ग़ज़ल अच्छी बनेगी ये जरूरी तो नहीं
दुनिया मुझको ही पढेगी ये जरूरी तो नहीं
फ़ौज सरहद पे खडी हो चाहे दुश्मन की तरह
कोई गोली भी चलेगी ये जरूरी तो नहीं
आज सागर हाथ में माना कि मेरे दोस्तों
प्यास पर मेरी बुझेगी ये जरूरी तो नहीं
इन चिरागों में भरा हो तेल कितना भी भले
रात भर बाती जलेगी ये जरूरी तो नहीं
आज उसकी ही खता है खूब है उसको पता
मांग पर माफी वो लेगी ये जरूरी तो नहीं
जोड़ लो दुनिया की दौलत जीत लो हर जंग ही
जिन्दगी हँस के कटेगी ये जरूरी तो नहीं
मुस्कुरा के इक हसी ने बात कर ली है अगर
हमसफ़र भी वो बनेगी ये जरूरी तो नहीं
मौलिक व अप्रकाशित
Comment
आदरणीय गिरिराज भाईसाब ..आप की प्रतिक्रियाओं से मुझे हमेशा ही उर्जा और चिंतन की दिशा मिलती है ,,यूं ही आपका स्नेह मिलता रहे सादर
आदरणीय सौरभ सर ..सर सादर प्रणाम ..आपकी प्रतिक्रिया को पढ़कर हमेशा ही नूतन उर्जा मिलती है अथवा चिंतन को एक दिशा .आपके प्रतिक्रियाये पढ़कर प्रकृति पर पढी ये पंकितियाँ बरबस याद आती हैं ..अनजानी भूलों पर भी वह अदय दंड तो देती है ,.पर बूढों को भी बच्चों सा सदय भाव से सेती है ..आपका स्नेह बस यूं ही मिलता रहे इस कामना के साथ ...
रदीफ़ ही इस ग़ज़ल को सुफ़ियाना अंदाज़ देता हुआ है. और आपने उसी लिहाज़ में निभाया भी है.
दिल से शुक्रिया इस ग़ज़ल के लिए
आदरणीया राजेश जी ..मेरी रचना पर आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए तहे दिल धन्यवाद सादर
आदरणीय आशुतोष भाई , बहुत सुन्दर ग़ज़ल कही है , आपको हार्दिक बधाइयाँ ॥
जोड़ लो दुनिया की दौलत जीत लो हर जंग ही
जिन्दगी हँस के कटेगी ये जरूरी तो नहीं ------ बहुत खूब , भाई जी बधाइयाँ ॥
अति सुंदर गजल बधाई आपको ।
फ़ौज सरहद पे खडी हो चाहे दुश्मन की तरह
कोई गोली भी चलेगी ये जरूरी तो नहीं
आज सागर हाथ में माना कि मेरे दोस्तों
प्यास पर मेरी बुझेगी ये जरूरी तो नहीं--बहुत सुन्दर ग़ज़ल लिखी है ,और ये दो शेर तो कमाल के हैं ,तहे दिल से बधाई
वाह बहुत खूब .. क्या कहने हर ग़ज़ल अच्छी बनेगी ये जरूरी तो नहीं
दुनिया मुझको ही पढेगी ये जरूरी तो नहीं.. बहुत बढियां लिखा है.. बधाई ये ग़ज़ल तो अच्छी बन गयी ..
आदरनीय विजय सर..आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया मेरे लिए एक आशीर्वाद है ..सादर प्रणाम के साथ
इस अच्छी गज़ल के लिए बधाई, आदरणीय।
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