For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कुंडलिया छंद-लक्ष्मण लडीवाला

महाराणा प्रताप की जयंती पर समर्पित -कुंडलिया छंद

रचते है इतिहास ही,राणा जैसे वीर

माँ वसुधा के लाल ये,ये ही असली पीर 
ये ही असली पीर, युद्ध से जिनका नाता 
दुश्मन को दे मार,चैन तब दिल में आता 
कह लक्ष्मण कविराय,रणभूमि में जो मरते 
वीरो का इतिहास, वीर शहीद वे रचते ||

(2)

माता पन्ना धाय ने, पाला वीर प्रताप,

दुश्मन लोहा मानते, पाकर के संताप |

पाकर के संताप, धाय पन्ना को कोसे

कर बलिदान स्व पूत,वीर प्रताप को पोसे

कह लक्ष्मण इतिहास,वीर की गाथा गाता

माँ वसुधा को नाज, धन्य है ऐसी माता |

(स्वरचित व अप्रकाशित)

Views: 583

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on June 9, 2014 at 9:02am

दूसरी रचना के शिल्प को पुनः देखता आदरणीय | दोने छंदों पर आपकी उत्साहवर्धन टिप्पणियों से मनोबल बढ़ा है | आपका बहुत बहुत आभार | सादर 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on June 9, 2014 at 8:49am

जी श्री विजय मिस्त्र जी, पन्ना धाय जैसी बलिदानी पर माँ वदुधा भी कर करती होगी | आभार स्वीकारे 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on June 8, 2014 at 9:08pm

कथ्य से दोनों छन्द समृद्ध हैं. अलबत्ता, शिल्प से दूसरी वाली रचना अधिक प्रभावी है.

सादर

Comment by विजय मिश्र on June 4, 2014 at 6:32pm
लक्ष्मणभाई , रचना का सौंदर्य है पन्नाधाईं का समर्पित और बलिदानी इतिहास | स्मरण कराने के लिए आदर |
Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on June 4, 2014 at 11:44am

कुंडलिया छंद पसंद करने के लिए हार्दिक आभार आपका आदरणीया अन्नपूर्ण बाजपेई जी 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on June 4, 2014 at 11:39am

छंद पसंद करने के लिए आभार आपका श्री गिरिराज भंडारी जी 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on June 4, 2014 at 11:38am

हार्दिक आभार आपका श्री शिज्जु शकूर भाई 

Comment by annapurna bajpai on June 4, 2014 at 7:49am

सुंदर कुण्डलिया , बधाई आपको आ0 लड़ीवाला जी । 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on June 3, 2014 at 10:17pm

आदरणीय लक्ष्मण भाई , सुन्दर कुंडलिया रचना के लिये आपको बधाई ॥


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on June 2, 2014 at 4:40pm

अच्छी रचनायें हैं आदरणीय लक्ष्मण सर बहुत बहुत बधाई आपको

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी रिश्तों पर आधारित आपकी दोहावली बहुत सुंदर और सार्थक बन पड़ी है ।हार्दिक बधाई…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"तू ही वो वज़ह है (लघुकथा): "हैलो, अस्सलामुअलैकुम। ई़द मुबारक़। कैसी रही ई़द?" बड़े ने…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"गोष्ठी का आग़ाज़ बेहतरीन मार्मिक लघुकथा से करने हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह…"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आपका हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी।"
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। बहुत सुंदर लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
Monday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"ध्वनि लोग उसे  पूजते।चढ़ावे लाते।वह बस आशीष देता।चढ़ावे स्पर्श कर  इशारे करता।जींस,असबाब…"
Sunday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"स्वागतम"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. रिचा जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अमित जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service