For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

क्यूँ न हम जुल्फ हुये सोचकर ये खलता है

२१२२ ११२२ १२१२ २२
इश्क की मौज में जब दिल में कुछ उछलता है
चांदनी रात में शोलों सा तन ये जलता है

राहे मंजिल पे यूं तो गुल तमाम थे लेकिन
आँख जब से लड़ी तन बर्फ सा पिघलता है

बंदिशें तोड़ के कह दे तू इस जमाने से
जलने वाला तो बात बात पे ही जलता है

चूम लेती हैं हसीं रुख को जब कभी जुल्फें
क्यूँ न हम जुल्फ हुये सोचकर ये खलता है

जुल्फ की छांव का अहसास तो किया होता
घर के साए से यकीनन ये दिल बहलता है

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 731

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr Ashutosh Mishra on June 4, 2014 at 11:33am

आदरनीय गोपाल सर ..मुझे इसके अन्य मायनो के सम्बन्ध में जानकारी नहीं हैं .कृपा कर जानकारी देने का कष्ट करें सादर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on June 4, 2014 at 10:40am

आदरणीय आशुतोष भाई , बढ़िया ग़ज़क कही है , हार्दिक बधाइयाँ ।

चूम लेती हैं हसीं रुख को जब कभी जुल्फें
क्यूँ न हम जुल्फ हुये सोचकर ये खलता है -- खयाल अच्छा है , भाई बधाई ॥

Comment by annapurna bajpai on June 4, 2014 at 7:32am

सुंदर गजल हेतु बधाई स्वीकारें , आ0 आशुतोष जी । 

Comment by Meena Pathak on June 3, 2014 at 11:20pm

बेहतरीन गज़ल हुई आदरणीय .. सादर बधाई स्वीकारें 

Comment by coontee mukerji on June 3, 2014 at 9:33pm

जुल्फ की छांव का अहसास तो किया होता
घर के साए से यकीनन ये दिल बहलता है....क्या बात है.

Comment by Abhinav Arun on June 3, 2014 at 7:14pm
भावपूर्ण सुन्दर ग़ज़ल डॉ आशुतोष जी , मुबारकबाद !!
Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on June 3, 2014 at 1:17pm

बंदिशें तोड़ के कह दे तू इस जमाने से
जलने वाला तो बात बात पे ही जलता है..........बहुत खूब, बधाई आदरणीय


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on June 2, 2014 at 4:25pm

//बंदिशें तोड़ के कह दे तू इस जमाने से
जलने वाला तो बात बात पे ही जलता है//

वाह क्या कहने आदरणीय डॉ आशुतोष सर बहुत बढ़िया

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on June 1, 2014 at 5:42pm

आशुतोष  जी हम -जुल्फ के कुछ  और भी मायने होते है i कही ---- 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आदरणीय, 'नूर साहब, ग़ज़ल लेखन पर आपके सिद्धहस्त होने से मैंने कब इन्कार किया। परम्परागत ग़ज़ल…"
11 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अजय अजेय जी,  आपकी छंद-रचनाएँ शिल्पबद्ध और विधान सम्मत हुई हैं.  सर्वोपरि, आपके…"
11 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"योग ****    छोटी छोटी बच्चियाँ, हैं भविष्य की आस  शिक्षा लेतीं आधुनिक, करतीं…"
19 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आदरणीय  निलेश जी अच्छी ग़ज़ल हुई है, सादर बधाई इस ग़ज़ल के लिए।  "
Thursday

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"आदरणीय रवि शुक्ल भैया,आपका अलग सा लहजा बहुत खूब है, सादर बधाई आपको। अच्छी ग़ज़ल हुई है।"
Thursday
अजय गुप्ता 'अजेय commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"ब्रजेश जी, आप जो कह रहें हैं सब ठीक है।    पर मुद्दा "कृष्ण" या…"
Tuesday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"क्या ही शानदार ग़ज़ल कही है आदरणीय शुक्ला जी... लाभ एवं हानि का था लक्ष्य उन के प्रेम मेंअस्तु…"
Monday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"उचित है आदरणीय अजय जी ,अतिरंजित तो लग रहा है हालाँकि असंभव सा नहीं है....मेरा तात्पर्य कि…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"आदरणीय रवि भाईजी, इस प्रस्तुति के मोहपाश में तो हम एक अरसे बँधे थे. हमने अपनी एक यात्रा के दौरान…"
Monday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आ. चेतन प्रकाश जी,//आदरणीय 'नूर'साहब,  मेरे अल्प ज्ञान के अनुसार ग़ज़ल का प्रत्येक…"
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service