For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

वह वृद्ध !! // अतुकांत कविता // अन्नपूर्णा बाजपेई

वह वृद्ध !!

कड़कती चिलचिलाती धूप मे

पानी की बूंद को तरसता

प्यास से विकल होंठो पर

बार बार जीभ फेरता

कदम दर कदम

बोझ सा जीवन, घसीटता

सर पर बंधे गमछे से

शरीर के स्वेद को

सुखाने की कोशिश भर करता 

अड़ियल स्वेद

बार बार मुंह चिढ़ाता

थक कर चूर हुआ

वह वृद्ध !!

कुछ छांव ढूँढता

आ बैठा किसी घर के दरवाजे पर

गृह स्वामी का कर्कश स्वर –

हट ! ए बुड्ढे !!

दरवाजे पर क्यों ?

दो घूंट जल की ............

भटकन , कब खत्म होगी

शुष्क कंठ

अवरुद्ध वाणी , कातर नेत्र , हताश !! चल दिया

न मिली पानी की एक भी बूंद

काँपता , हाँफता

वह वृद्ध !!

अझेल ग्रीष्म अपने यौवन पर 

हवा लपट सी

लगती तन पर

सर उठा  निहारे वो अंबर 

नैन मूँद कर 

दिवाकर से कहता

कुछ पल शेष

कुछ कदम हैं शेष

बस कुछ कदम और

घर अब दूर नहीं

खुद को समझाता

वह वृद्ध !!!

 

सह न पाया 

दिवाकर का ताप 

कमजोर थी काया 

गिरा भूमि  पर 

कुछ औचक 

फिर  उठा वह 

झुरझुरी सी तन मे 

फिर उठने की कोशिश भर 

नाकाम !!! 

आह !! क्या  न चल सकूँगा 

उठने का फिर किया प्रयास 

किन्तु न उठ पाया 

जीवन डोर छूटती सी  लगी 

होंठो पर जीभ फेर पुनः 

पानी !! पानी !!! पानी !!!! 

और न उठ पाया 

वह वृद्ध !!!!! 

अप्रकाशित एवं मौलिक 

Views: 1030

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by annapurna bajpai on June 25, 2014 at 6:47pm

आदरणीय विजय जी आपका हार्दिक धन्यवाद । 

Comment by annapurna bajpai on June 25, 2014 at 6:47pm

आदरणीय सौरभ जी आपके अमूल्य सुझावों से प्रेरणा ले कर निरंतर आगे बढ़ती रहूँ , आपका स्नेह यों ही मिलता रहे । 

Comment by annapurna bajpai on June 25, 2014 at 6:45pm

आ0 प्राची जी आपको रचना अच्छी लगी मुझे हार्दिक प्रसन्नता हुई , इसी प्रकार स्नेह देती रहिए । 

Comment by annapurna bajpai on June 25, 2014 at 6:44pm

आदरणीया कल्पना दीदी आपका आशीर्वाद टिप्पणी रूप मे मुझे मिला मै धन्य हुई , यों ही स्नेह बनाए रखें । 

Comment by annapurna bajpai on June 25, 2014 at 6:43pm

आदरणीया माहेश्वरी जी आपको रचना पसंद आई मेरा लिखना सार्थक हुआ , आपका आभार । 

Comment by vijay nikore on June 20, 2014 at 7:36am

बहुत ही मर्मस्पर्शी रचना है। बधाई, आदरणीया अन्नपूर्णा जी।


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on June 19, 2014 at 11:40pm

शब्द-दृश्य को साझा करने के लिए धन्यवाद, आदरणीया अन्नपूर्णाजी.
प्रयुक्त शब्दों के प्रति तनिक संयत रहना था. लेकिन आपकी यह रचना अवश्य ही सार्थक भाव संप्रेषित कर रही है,
सादर बधाइयाँ


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on June 19, 2014 at 12:10pm

ओह! जीवन का अंत इतना कठिन ... पानी के लिए तरसते छटपटाते 

क्या कोइ द्वार इतना निष्ठुर भी हो सकता है जो ना दे एक बूँद पानी एक मृतप्राय को...

आपकी संवेदनाओं ने इस अभिव्यक्ति में बहुत प्रभावित किया 

मर्मस्पर्शी चलचित्र सा तैर गया 

बधाई इस सुदृढ़ प्रस्तुति पर 

सस्नेह 

Comment by कल्पना रामानी on June 16, 2014 at 8:06pm

भावपूर्ण सुंदर कविता के लिए आपको हार्दिक बधाई प्रिय अन्नपूर्णा जी

Comment by Maheshwari Kaneri on June 15, 2014 at 5:49pm

बहुत मर्मस्पर्शी रचना, बधाई आदरणीया अन्नपूर्णा जी

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"बच्चों का ये जोश, सँभालो हे बजरंगी भीत चढ़े सब साथ, बात माने ना संगी तोड़ रहे सब आम, पहन कपड़े…"
1 hour ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"रोला छंद ++++++   आँगन में है पेड़, मौसमी आम फले…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . .तकदीर
"आदरणीय अच्छे सार्थक दोहे हुए हैं , हार्दिक बधाई  आख़िरी दोहे की मात्रा फिर से गिन लीजिये …"
18 hours ago
सालिक गणवीर shared Admin's page on Facebook
23 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी's blog post was featured

एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]

एक धरती जो सदा से जल रही है   ********************************२१२२    २१२२     २१२२ एक इच्छा मन के…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]

एक धरती जो सदा से जल रही है   ********************************२१२२    २१२२     २१२२ एक इच्छा मन के…See More
Tuesday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . .तकदीर

दोहा सप्तक. . . . . तकदीर   होती है हर हाथ में, किस्मत भरी लकीर । उसकी रहमत के बिना, कब बदले तकदीर…See More
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ छियासठवाँ आयोजन है।.…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय  चेतन प्रकाश भाई  आपका हार्दिक आभार "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय बड़े भाई  आपका हार्दिक आभार "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आभार आपका  आदरणीय  सुशील भाई "
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए हार्दिक आभार।"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service