(मौलिक व अप्रकाशित)
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आपकी लघु कथा कि ये चार पंक्तियाँ चार मुद्दों पर प्रकाश डाल रही हैं ----(१)पिता को बेटे के भविष्य की चिंता ,(२ )माँ की अंधी ममता जो आँख बंद पर बेटे की बुराई को अच्छाई में बदलने की कोशिश कर रही है(३) बेटे के दबदबे के कारण बेटी को सुरक्षा चक्र का मिलना (४ )आज के माहौल में बेटियाँ स्कूल कालेज में कितनी असुरक्षित
वाह्ह्ह वाह आ० गणेश जी ,बहुत दिनों बाद आपकी कोई लघु कथा पटल पर आई ,पर क्या खूब आई ,बहुत सुन्दर ,बहुत बहुत बधाई आपको |
सराहना हेतु बहुत बहुत आभार प्रिय ब्रिजेश भाई ।
आदरणीय डॉ विजय शंकर जी, लघुकथा आप तक पहुँच गयी, मेरा प्रयास सफल हुआ, ह्रदय से आभार ।
उत्साहवर्धन हेतु ह्रदय से आभार शिज्जू भाई ।
उत्साहवर्धन करती टिप्पणी हेतु बहुत बहुत आभार आदरणीया कल्पना रमानी जी, नौकरी के उलझनों में उलझा हुआ हूँ, सो लेखन कार्यों से आजकल विलग सा हो गया हूँ।
आदरणीय डॉ गोपाल नारायण जी, कथा जहाँ पर आपको अधूरी लगी, दरअसल वहीँ वह पूरी हो जाती है, उत्साहवर्धन हेतु ह्रदय से आभार ।
बहुत बहुत आभार आदरणीया महेश्वरी कनेरी जी, आपको यह लघुकथा अच्छी लगी, मेरा प्रयास सार्थक हुआ |
आदरणीय जितेन्द्र जी, आपकी सराहना सर आँखों पर, आप स्वयम अच्छी लघुकथा लिखने लगें हैं, आप द्वारा सराहा जाना मायने रखता है, बहुत बहुत आभार |
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