For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

प्रेम स्पंदन .....

प्रेम स्पंदन ....

नयन आलिंगन.....
अपरिभाषित और अलौकिक.....
प्रेम स्पंदन//

मौन आवरण में ....
अधरों का अधरों से....
मधुर अभिनंदन//

महकें स्वप्न....
नेत्र विला में....
जैसे महके.....
हरदम चंदन//

मेघ वृष्टि की.....
अनुभूति को ....
कह पाये न....

प्रेम अगन में....
भीगा ये तन//

विछोह वेदना में....
नयन सागर के.....
तोड़ किनारे....

सुर्ख कपोलों पर दो बूंदें.....
पिया मिलन को .....
करती क्रन्दन//

सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 812

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on July 4, 2014 at 1:59pm

आदरणीय डॉ आशुतोष मिश्रा  जी रचना पर आपकी आत्मीय  अभिव्यक्ति का हार्दिक आभार 

Comment by Sushil Sarna on July 4, 2014 at 1:58pm

आदरणीय गिरिराज भंडारी  जी रचना पर आपकी स्नेहिल अभिव्यक्ति का हार्दिक आभार  

Comment by Dr Ashutosh Mishra on July 4, 2014 at 1:28pm

आदरणीय शुशील जी .

मेघ वृष्टि की.....
अनुभूति को ....
कह पाये न....

प्रेम अगन में....
भीगा ये तन//

.संदर शब्दों से सुसज्जित भाव मई इस रचना के लिए तहे दिल बधाई सादर ..


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on July 4, 2014 at 11:52am

आदरणीय , सुन्दर शब्द संयोजन , सुन्दर विरह गीत के लिये बधाई ॥

Comment by Sushil Sarna on July 3, 2014 at 9:26pm

आदरणीय  रमेश कुमार चौहान जी  रचना पर आपकी मधुर  अभिव्यक्ति  का हार्दिक आभार 

Comment by रमेश कुमार चौहान on July 3, 2014 at 8:19pm

बहुत बहुत बधाई इस रचना के लिये

Comment by Sushil Sarna on July 2, 2014 at 9:08pm

आदरणीय Priyanka singhजी  रचना पर आपकी मधुर  अभिव्यक्ति  का हार्दिक आभार 

Comment by Priyanka singh on July 2, 2014 at 4:56pm

विछोह वेदना में....
नयन सागर के.....
तोड़ किनारे....

सुर्ख कपोलों पर दो बूंदें.....
पिया मिलन को .....
करती क्रन्दन//

वाह सर बहुत खूब .....बधाई आपको 

Comment by Sushil Sarna on July 2, 2014 at 12:01pm

आदरणीय vijay nikoreजी रचना पर आपकी आत्मीय प्रशंसा का हार्दिक आभार 

Comment by Sushil Sarna on July 2, 2014 at 12:00pm

आदरणीय  savitamishra   जी रचना पर आपकी स्नेहिल प्रशंसा  का हार्दिक आभार 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"आदरणीय सुशिल भाई , अच्छी दोहा वली की रचना की है , हार्दिक बधाई "
5 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"आदरनीय आजी भाई , अच्छी ग़ज़ल कही है हार्दिक बधाई ग़ज़ल के लिए "
8 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"अनुज बृजेश , ग़ज़ल की सराहना और उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
13 minutes ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज जी इस बह्र की ग़ज़लें बहुत नहीं पढ़ी हैं और लिख पाना तो दूर की कौड़ी है। बहुत ही अच्छी…"
7 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहते हो बात रोज ही आँखें तरेर कर-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. धामी जी ग़ज़ल अच्छी लगी और रदीफ़ तो कमल है...."
7 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"वाह आ. नीलेश जी बहुत ही खूब ग़ज़ल हुई...."
7 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आदरणीय धामी जी सादर नमन करते हुए कहना चाहता हूँ कि रीत तो कृष्ण ने ही चलायी है। प्रेमी या तो…"
7 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आदरणीय अजय जी सर्वप्रथम देर से आने के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ।  मनुष्य द्वारा निर्मित, संसार…"
7 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"आदरणीय जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय । हो सकता आपको लगता है मगर मैं अपने भाव…"
23 hours ago
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"अच्छे कहे जा सकते हैं, दोहे.किन्तु, पहला दोहा, अर्थ- भाव के साथ ही अन्याय कर रहा है।"
yesterday
Aazi Tamaam posted a blog post

तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या

२१२२ २१२२ २१२२ २१२इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्यावैसे भी इस गुफ़्तगू से ज़ख़्म भर…See More
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"परम् आदरणीय सौरभ पांडे जी सदर प्रणाम! आपका मार्गदर्शन मेरे लिए संजीवनी समान है। हार्दिक आभार।"
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service