For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल- कि दरिया पार होकर भी किनारे छूट जाते हैं

१२२२       १२२२          १२२२         १२२२

ज़रा सी बात पर अनबन, भरोसे टूट जाते हैं

कि साथी सात जन्मों के पलों में छूट जाते हैं

ये दिल का मामला प्यारे नहीं दरकार पत्थर की

ज़रा सी बेरुखी से ही ये शीशे फूट जाते हैं

ये ऐसा दौर है साहिब कि आँखें खोल हम सोये

मगर हद है लुटेरे सामने ही लूट जाते हैं

ये माना बेखुदी में हो मगर कुछ होश भी रखना

बहुत जल्दी ही  ख्वाबों के घरौंदे टूट जाते हैं

खुदी में दम नहीं है गर तो हासिल कुछ नहीं होता

कि दरिया पार होकर भी किनारे छूट जाते हैं

संजू शब्दिता मौलिक व अप्रकाशित

Views: 988

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by sanju shabdita on July 7, 2014 at 7:31pm

आदरणीय अतुल कुशवाहा जी बहुत बहुत शुक्रिया आपका

Comment by sanju shabdita on July 7, 2014 at 7:31pm

आदरणीय जितेंद्र गीत जी बहुत शुक्रिया आपका

Comment by sanju shabdita on July 7, 2014 at 7:30pm

आदरणीय गोपाल सर बहुत बहुत शुक्रिया आपका

Comment by sanju shabdita on July 7, 2014 at 7:30pm

आदरणीय आशुतोष जी बहुत शुक्रिया आपका

Comment by sanju shabdita on July 7, 2014 at 7:29pm

आदरणीय गिरिराज सर आपकाहार्दिक धन्यवाद

Comment by sanju shabdita on July 7, 2014 at 7:29pm

आदरणीय अरुण अनंत जी बहुत बहुत शुक्रिया आपका

Comment by sanju shabdita on July 7, 2014 at 7:28pm

आदरणीय रवि प्रभाकर जी बहुत बहुत शुक्रिया आपका

Comment by sanju shabdita on July 7, 2014 at 7:27pm

आदरणीय नीलेश जी आपका हार्दिक धन्यवाद

Comment by sanju shabdita on July 7, 2014 at 7:26pm

आदरणीय केवल जी बहुत बहुत शुक्रिया आपका

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on July 7, 2014 at 6:56pm

आ0 संजू जी,  एक बेहतरीन और लाजवाब गजल हुई है।  हार्दिक बधाई स्वीकारें।  सादर,

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"जी, ऐसा ही होता है हर प्रतिभागी के साथ। अच्छा अनुभव रहा आज की गोष्ठी का भी।"
yesterday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"अनेक-अनेक आभार आदरणीय शेख़ उस्मानी जी। आप सब के सान्निध्य में रहते हुए आप सब से जब ऐसे उत्साहवर्धक…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"वाह। आप तो मुझसे प्रयोग की बात कह रहे थे न।‌ लेकिन आपने भी तो कितना बेहतरीन प्रयोग कर डाला…"
yesterday
अजय गुप्ता 'अजेय commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"ग़ज़ल के लिए बधाई स्वीकार करें आदरणीय गिरिराज जी।  नीलेश जी की बात से सहमत हूँ। उर्दू की लिपि…"
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. अजय जी "
yesterday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"मोर या कौवा --------------- बूढ़ा कौवा अपने पोते को समझा रहा था। "देखो बेटा, ये हमारे साथ पहले…"
yesterday
अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"जी आभार। निरंतर विमर्श गुणवत्ता वृद्धि करते हैं। अपनी एक ग़ज़ल का मतला पेश करता हूँ। पूरी ग़ज़ल भी कभी…"
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"क़रीना पर आपके शेर से संतुष्ट हूँ. महीना वाला शेर अब बेहतर हुआ है .बहुत बहुत बधाई "
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"हार्दिक स्वागत आपका गोष्ठी और रचना पटल पर उपस्थिति हेतु।  अपनी प्रतिक्रिया और राय से मुझे…"
yesterday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"आप की प्रयोगधर्मिता प्रशंसनीय है आदरणीय उस्मानी जी। लघुकथा के क्षेत्र में निरन्तर आप नवीन प्रयोग कर…"
yesterday
अजय गुप्ता 'अजेय commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"अच्छी ग़ज़ल हुई है नीलेश जी। बधाई स्वीकार करें।"
yesterday
अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"मौसम का क्या मिज़ाज रहेगा पता नहीं  इस डर में जाये साल-महीना किसान ka अपनी राय दीजिएगा और…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service