For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

** 2122 2122 2122 212

*******************************

दोष थोड़ा सा समय का कुछ मेरी आवारगी

सीधे-सीधे चल न पायी इसलिए भी जिंदगी

**

हम  तुम्हें  कैसे कहें  अब  दूरियों  को  पाट लो

कम न कर पाये जो खुद हम आपसी नाराजगी

**

कल हवा को भी  इजाजत  दी न थी यूँ आपने

आज  क्यों  भाने  लगी   है  गैर की मौजूदगी

**

रात-दिन  करने  पड़ेंगे यूँ जतन कुछ तो हमें

कहने भर से दोस्तों  ये किस्मतें कब हैं जगी

**

घर  जलाकर  आप  नाहक  जा रहे हैं साथ में

ये सियासत तो न होगी आपकी फिर भी सगी

**

पुरअसर होगी ‘मुसाफिर’ के जिगर पर भी सदा

हर गजल  यारो  किसी के प्यार में गर हो पगी

**

(रचना - 17 जनवरी 2010)

मौलिक और अप्रकाशित

लक्ष्मण धामी ‘मुसाफिर’

Views: 839

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 24, 2014 at 11:12am

आ० भाई सौरभ जी मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार l


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 23, 2014 at 6:03pm

आपने अब स्पष्ट किया है, आदरणीय लक्ष्मण भाईजी. अब आप सही हैं.

शभ-शुभ

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 23, 2014 at 10:16am

आदरणीय भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन । गजल पर आपकी उपस्थिति के लिए आभार । जैसा कि आपने इस गजल में काफिए के विषय में पूछा है । दरअस्ल इसमें मैंने काफिये के बतौर अगी लिया है और इसमें रदीफ नहीं है । क्या अगी को बतौर काफिया नहीं लिया जा सकता ? मार्गदर्शन करें । यह भ्रम की स्थिति शायद भाई शिज्जू शकूर जी के प्रश्न का गलत जवाब दे दिये जाने के कारण पैदा हो गयी है ।
आपने जिस पंक्ति में संशोधन सुझाया है वह यथेष्ठ है । यह मेरी कहन को पुख्ता ही करता है कमजोर नहीं । भविष्य में शब्दों के चयन पर और गौर करूंगा । मार्गदर्शन करते रहिए । पुनः हार्दिक आभार ।


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 21, 2014 at 1:03am

आदरणीय लक्ष्मण धामीजी,
आपकी ग़ज़ल का काफ़िया कहाँ है ? बिना रदीफ़ ग़ज़ल हो सकती है, बिना काफ़िया नहीं. आपने यदि ’ई’की मात्रा को काफ़िया लिया है तो फिर मतले में ’गी’ की तुकान्तता नहीं होनी थी.
यह तो हुई एक बात.

दूसरी बात, कि जबतक बहुत जरूरत न हो मात्रा गिराना बदमज़ग़ी ही पैदा करता है. अब मतला के सानी को ही लें - सीधे-सीधे चल न पायी इसलिए भी जिंदगी
क्या इसे

राह सीधी चल न पायी इसलिए भी ज़िन्दग़ी  कर सकते हैं क्या ?

क्या ऐसा करना आपकी कहन के माने को बहुत दूर ले जायेगा ? मुझे ऐसा लगा नहीं.
सादर

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 16, 2014 at 11:27am

आओ भाई विजय निकोर जी , मेरे लिए रचना पर आपकी टिप्पणी का अर्थ एक पुरस्कार ही है . हार्दिक धन्यवाद .

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 16, 2014 at 11:25am

आ० भाई जीतेन्द्र जी , रचना पर आपकी उपस्थिति से मनोबल बढ़ा . हार्दिक धन्यवाद l

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 16, 2014 at 11:23am

आ० भाई संतलाल जी , प्रशंसा के लिए हार्दिक धन्यवाद l

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 16, 2014 at 11:22am

आ० भाई गुमनाम जी उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद l

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 16, 2014 at 11:21am

आ0 राजेश बहन उत्साहवर्धन और त्रुटि की ओर ध्यान दिलाने के लिए हार्दिक धन्यवाद । त्रुटि संशाधित कर ली गयी है ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 16, 2014 at 11:20am

आ0 भाई गिरिराज जी प्रशंसा और सलाह के लिए हार्दिक धन्यवाद । आपके सुझावानुसार संशोधन कर लिया है । पुनः हार्दिक धन्यवाद ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ सत्तरवाँ आयोजन है।.…See More
4 hours ago
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"सादर प्रणाम🙏 आदरणीय चेतन प्रकाश जी ! अच्छे दोहों के साथ आयोजन में सहभागी बने हैं आप।बहुत बधाई।"
yesterday
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी ! सादर अभिवादन 🙏 बहुत ही अच्छे और सारगर्भित दोहे कहे आपने।  // संकट में…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर सुंदर दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Saturday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"राखी     का    त्योहार    है, प्रेम - पर्व …"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"दोहे- ******* अनुपम है जग में बहुत, राखी का त्यौहार कच्चे  धागे  जब  बनें, …"
Saturday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"रजाई को सौड़ कहाँ, अर्थात, किस क्षेत्र में, बोला जाता है ? "
Thursday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय "
Thursday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय  सौड़ का अर्थ मुख्यतः रजाई लिया जाता है श्रीमान "
Thursday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"हृदयतल से आभार आदरणीय 🙏"
Thursday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , दिल  से से कही ग़ज़ल को आपने उतनी ही गहराई से समझ कर और अपना कर मेरी मेनहत सफल…"
Wednesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , गज़ाल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका ह्रदय से आभार | दो शेरों का आपको…"
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service