For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,गुमनाम पिथौरागढ़ी

१२२२   १२२२   १२२२    १२२२ 

 

मिलो गर ज़िन्दगी से तुम कोई फ़रियाद मत करना

बिठाना बैठना हँस  लेना दिल  नाशाद  मत करना

 

रखो दिल  काबू में  पहली नज़र के प्यार में यारो

जमाना कहता खुद को कैस ओ फरहाद मत करना

 

किताबें मजहबी रहने दो इन अलमारियों में बंद

मिलो जो आदमी से पोथियों को याद मत करना

 

सियासत की फरेबी चाल में फंसकर ऐ लोगो तुम

मुहब्बत चैन अमन को तुम कभी बर्बाद मत करना

 

मैं उधड़े जख्मो की तुरपाई में जीवन ये जीता हूँ

मेरे गम से  खुदा  मुझको  कभी आज़ाद मत करना

 

मौलिक व अप्रकाशित

गुमनाम पिथौरागढ़ी

Views: 533

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on July 17, 2014 at 3:47pm

आदरणीय गुमनाम भाई , आपका अलिफ वस्ल वाला मिसरा सही है , बाक़ी दो मिसरे देख लीजिये गा ॥

Comment by gumnaam pithoragarhi on July 17, 2014 at 2:20pm

shukriya sir ji aap logo ke disha nirdesh me rahkar likh raha hoon aur yahi sahyog chahta hoon,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

Comment by gumnaam pithoragarhi on July 17, 2014 at 2:19pm

बिठाना बै1222ठना हँस  ले1222ना दिल नाशा1222द  मत करना 1222

2- मुहब्बत चै1222न अमन को तुम1222 कभी बर्बा1222द मत करना1222मुहब्बत चैन+मन [चैनमन]को तुम कभी बर्बाद मत करना

3- मैं उधड़े जख्1222मो की तुरपा1222ई में जीवन सा1222रा जीता हूँ1222


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on July 17, 2014 at 2:04pm

आदरणीय गुमनाम भाई , गज़ल बहुत बढ़िया कही है , मेरी दिली बधाइयाँ स्वीकार करें ॥

गज़ल पोस्ट करने मे आप कुछ हड़बड़ी कर गये हैं - कुछ मिसरे बेबह्र हो गये हैं -

1-बिठाना बैठना हँस  लेना दिल दिल नाशाद  मत करना 

2- मुहब्बत चैन अमन को तुम कभी बर्बाद मत करना

3- मैं उधड़े जख्मो की तुरपाई में जीवन सारा जीता हूँ

तीनो मिसरों की तकतीअ एक बार और कर लीजिये गा ॥


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on July 17, 2014 at 12:56pm

वाह लाजवाब आपकी मेहनत रंग ला रही है, आदरणीय गुमनाम भाई बहुत खूबसूरत ग़ज़ल हार्दिक बधाई  आपको

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .प्रेम
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभार आदरणीय"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .मजदूर

दोहा पंचक. . . . मजदूरवक्त  बिता कर देखिए, मजदूरों के साथ । गीला रहता स्वेद से , हरदम उनका माथ…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सुशील सरना जी मेरे प्रयास के अनुमोदन हेतु हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
Monday
Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बेहतरीन 👌 प्रस्तुति सर हार्दिक बधाई "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी समीक्षात्मक मधुर प्रतिक्रिया का दिल से आभार । सहमत एवं…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी स्नेहिल प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक ..रिश्ते
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार आदरणीय"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"आ. भाई आजी तमाम जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। उत्तम गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on AMAN SINHA's blog post काश कहीं ऐसा हो जाता
"आदरणीय अमन सिन्हा जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार करें। सादर। ना तू मेरे बीन रह पाता…"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service