For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

घोड़े नहीं रहे --डा० विजय शंकर

घोड़े नहीं रहे , घोड़ों का युग नहीं रहा
मेंढ़क हैं , तरह तरह के मेंढ़क,
हरियाली है उनकीं , हरे हरे से मेंढ़क,
उछलते , कूदते , फांदते , मेंढ़क
न अश्व रहे , न अश्वपुत्र , न ही अश्वपति
न लम्बी दौड़ , न ऊंची कूद ,
न रही कहीं वो गति ,
मीटर दो मीटर की दौड़ें हैं ,
फुट दो फुट ऊंची कूदें हैं ,
आस पास तक गूंज ले
बस ऐसी ही आवाजें हैं ।
उम्मीदों के क्या कहने ,
अरमान वही घोड़ों जैसे ,
नाल हो , जीन हो ,
घोड़े वाली कलगी हो ,
ऊंचाई से क्या होता ,
ऊंचा ही तो बुरा होता है ,
मेंढ़क से तो हर कोई
नीचे उतर के बात करता .
कुछ तो पड़े रहते हैं चरणों में ,
ज़रा भी ऊपर जायेंगें तो , डर है
संपर्क और कृपा से ही चले जायेंगें
मेंढ़क हैं , तालाब की चिंता है
उसके आगे क्या रखा है .
शान देखिये मेंढकों की
नाल पहनाई जा रही है ,
बड़ी बड़ी नाल ,
पैरों से बड़ी बड़ी नाल ,
फुदकना तो दूर ,
नाल पहन कर चल नहीं पा रहे हैं , पर ,
पहने क्यों नहीं , घोड़ों की जगह ली है .
टाप तो वैसे ही होनी चाहिए
पहनेगें जरूर , प्रतिष्ठा भी तो चाहिए .

मौलिक एवं अप्रकाशित.
डा० विजय शंकर

Views: 941

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr. Vijai Shanker on August 8, 2014 at 10:06am
आदरणीय डॉ o आशुतोष मिश्रा जी , आपको रचना पसंद आई , अच्छा लगा , बहुत बहुत धन्यवाद
Comment by Dr Ashutosh Mishra on August 8, 2014 at 9:49am

आदरणीय विजय जी ,,इस अनूठे चिंतन के लिए तहे दिल बधाई ..ऐसी शानदार रचनाएँ बहुत ही कम पढने को मिल पाती हैं ,,पुन बधाई के साथ सादर 

Comment by Dr. Vijai Shanker on August 4, 2014 at 10:25pm
आदरणीय राम शिरोमणि जी , आपको बहुत बहुत धन्यवाद .
Comment by ram shiromani pathak on August 4, 2014 at 9:25pm

ज़ोरदार कहन आदरणीय। .  हार्दिक बधाई आपको। .  सादर 

Comment by Dr. Vijai Shanker on August 4, 2014 at 2:41pm
आदरणीय सविता मिश्रा जी आपकी बधाई के लिए सादर धन्यवाद .
Comment by Dr. Vijai Shanker on August 4, 2014 at 2:40pm
आदरणीय सौरभ जी आपकी ढ़ेर सारी बधाइयों के लिए ढेर सारा धन्यवाद .
Comment by savitamishra on August 4, 2014 at 12:25pm

बहुत सुन्दर ..............सादर बधाईआदरणीय _/\_


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 4, 2014 at 12:17pm

आदरणीय डॉक्टर साहब, इस बिम्बात्मकता ने मोह लिया... क्या खूब ! क्या खूब !
विसंगतियों की यह पराकाष्ठ है या इसके आगे भी कुछ बाकी है ! यदि हाँ, तो कोफ़्त होती है ऐसे वैचारिक विकास और ऐसी भौतिक उन्नति पर, जहाँ बौने शासक वर्ग की अपेक्षाएँ-आकांक्षाएँ दानवी ढंग से विकराल हैं. इस बहुत अच्छी कविता के लिए ढेर सारी बधाइयाँ
सादर

Comment by Dr. Vijai Shanker on August 3, 2014 at 3:37pm
आदरणीय विजय निकोर जी , आपको व्यंग पसंद आया, अच्छा लगा , धन्यवाद .
Comment by vijay nikore on August 3, 2014 at 3:28pm

//शान देखिये मेंढकों की
नाल पहनाई जा रही है ,
बड़ी बड़ी नाल ,
पैरों से बड़ी बड़ी नाल ,
फुदकना तो दूर ,
नाल पहन कर चल नहीं पा रहे हैं , पर ,
पहने क्यों नहीं , घोड़ों की जगह ली है .//

प्रभावशाली रचना के लिए बधाई, आदरणीय विजय जी।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
13 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
13 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
13 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय, मैं भी पारिवारिक आयोजनों के सिलसिले में प्रवास पर हूँ. और, लगातार एक स्थान से दूसरे स्थान…"
19 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिन्द रायपुरी जी, सरसी छंदा में आपकी प्रस्तुति की अंतर्धारा तार्किक है और समाज के उस तबके…"
19 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश भाईजी, आपकी प्रस्तुत रचना का बहाव प्रभावी है. फिर भी, पड़े गर्मी या फटे बादल,…"
19 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपकी रचना से आयोजन आरम्भ हुआ है. इसकी पहली बधाई बनती…"
19 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय / आदरणीया , सपरिवार प्रातः आठ बजे भांजे के ब्याह में राजनांदगांंव प्रस्थान करना है। रात्रि…"
yesterday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छन्द ठिठुरे बचपन की मजबूरी, किसी तरह की आग बाहर लपटें जहरीली सी, भीतर भूखा नाग फिर भी नहीं…"
Saturday
Jaihind Raipuri joined Admin's group
Thumbnail

चित्र से काव्य तक

"ओ बी ओ चित्र से काव्य तक छंदोंत्सव" में भाग लेने हेतु सदस्य इस समूह को ज्वाइन कर ले |See More
Saturday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद +++++++++ पड़े गर्मी या फटे बादल, मानव है असहाय। ठंड बेरहम की रातों में, निर्धन हैं…"
Saturday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद  रीति शीत की जारी भैया, पड़ रही गज़ब ठंड । पहलवान भी मज़बूरी में, पेल …"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service