For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

क्या है जो रोज़ गुनाह करते हो --डा० विजय शंकर

क्या किसी भी सजा से नहीं डरते हो
क्यों रोज़ गुनाह पे गुनाह करते हो
दुनियाँ जहाँन की सब खबर रखते हो
खुद क्या हो बिलकुल बेखबर रहते हो
अपने कर्मों पे नज़र नहीं रखते हो
कौन क्या कर रहा परेशान रहते हो
औरों के खजाने पे नज़र रखते हो
कभी चोरी के नोट अपने गिनते हो
शेर की खाल में गीदड़ नज़र आते हो
घर में आईने बिलकुल नहीं रखते हो
बैसाखियाँ ले कर गुजर बसर करते हो
दौड़ में सबसे आगे हो, दम भरते हो
ईश्वर की दुनियाँ को बहुत बनाते हो
भगवान से बिलकुल भी नहीं डरते हो
क्या है जो रोज़ गुनाह करते हो
किसी भी सजा से नहीं डरते हो

मौलिक एवं अप्रकाशित.
डा० विजय शंकर

Views: 539

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr. Vijai Shanker on August 8, 2014 at 10:12am
बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय डॉ o आशुतोष मिश्रा जी ,
Comment by Dr Ashutosh Mishra on August 8, 2014 at 9:51am

आदरणीय विजय जी ,,,सच में अब किसी को किसी का भय नहीं रहा ,,सुंदर रचना के लिए हार्दिक बधाई सादर 

Comment by Dr. Vijai Shanker on July 31, 2014 at 11:11pm
बहुत बहुत धन्यवाद , आदरणीय आमोद कुमार जी .
Comment by Amod Kumar Srivastava on July 31, 2014 at 9:08pm

बहुत सुंदर ... सच को सहज भाव से अंकित करने के लिए ... सादर ॥ 

Comment by Dr. Vijai Shanker on July 30, 2014 at 11:26am
सही कहा आपने आदरणीय लक्ष्मण प्रसाद लाडीवाला जी , यह संस्कार ही हैं जो लुप्त हो रहे हैं और एक हम हैं जो समझ भी नहीं रहे हैं कि हम क्या खो रहे हैं. आपकी शुभ कामनाओं के लिए धन्यवाद .
Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on July 30, 2014 at 11:00am

सच लिखा है आपने साहब, आज का तो शिशु तक नहीं डरता और कालान्तर में फिर किसी की सुनता तक नहीं | दुष्कर्म 

करते भगवान् तक से नहीं डरते, चोरी करते जेल जाने से नहीं डरते | ये सब अच्छे संसकारों का पाठ नहीं पढ़ाने के कारण हो 

रहा है और यही भारतीय संस्कृति के अवमूल्यन का कारण भी | हार्दिक बढ़ा डॉ विजय शंकर जी | सादर 

Comment by Dr. Vijai Shanker on July 29, 2014 at 11:22pm
बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय राजेश कुमारी जी।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 29, 2014 at 10:47pm

सच कहा आज का इंसान किसी चीज से नहीं डरता उसकी फ़ितरत ही बदल चुकी ....विचारणीय प्रस्तुति हेतु बहुत बहुत बधाई आपको डॉ विजय शंकर जी 

Comment by Dr. Vijai Shanker on July 29, 2014 at 12:13pm
बस शुभकामनाएं और आशीर्वाद बनाये रखिये , आदरणीय गोपाल नरायन जी , सादर।
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on July 29, 2014 at 12:01pm

भाई जी आप भी बस कमाल करते हो

कोई एक बिंदु उठा लेते हो , बस उसे ही शब्दो में नचाते हो  और कुम्हार की तरह कोई पात्र गढ़ लेते हो  i

हुनर है भाई i

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 184 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। विस्तृत टिप्पणी से उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
Monday
Chetan Prakash and Dayaram Methani are now friends
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, प्रदत्त विषय पर आपने बहुत बढ़िया प्रस्तुति का प्रयास किया है। इस…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई जयहिंद जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"बुझा दीप आँधी हमें मत डरा तू नहीं एक भी अब तमस की सुनेंगे"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर विस्तृत और मार्गदर्शक टिप्पणी के लिए आभार // कहो आँधियों…"
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"कुंडलिया  उजाला गया फैल है,देश में चहुँ ओर अंधे सभी मिलजुल के,खूब मचाएं शोर खूब मचाएं शोर,…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
Saturday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी आपने प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया गजल कही है। गजल के प्रत्येक शेर पर हार्दिक…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service