मेघ निबह
श्याम श्वेत निर्मोही
भ्रम फैलाये
उड़ती घटा छाये
सूर्य आछन्न
दुविधा में फंसाए
काम बढाए
अकस्मात बरखा
बाहर डाले
कपड़े निकालते
फिर डालते
गृहलक्ष्मी दुचित्ता
क्रोध बढ़ाए
उलझौआ पयोद
वक्त कीमती
दुरुपयोग होता
वक्त भागता
सुना था कभी कही
खुद पे बीती
खीझ दुघडिया पे
भुनभुनाती
काम है निपटाने
प्रावृट् बदरा
तुझे सूझे नौटंकी
घुंघट ओढ़
हुई तू तो बावरी|
तंग गृहणी
मेघ निरंग निस्तारा
भ्रान्ति से छुटकारा| सविता मिश्रा
"मौलिक व अप्रकाशित"
Comment
जी ........आदरणीय गोपाल चाचाजी सादर आभार आपका
आदरणीया
इस शब्द पर काफी चर्चा हो गयी है i मै पहले भी इसे स्वीकार किया था i अब मै शब्दकोष का सन्दर्भ नीचे दे रहा हूँ i आपका प्रयोग बिलकुल सही है i
⋙ प्रावृट्
संज्ञा पुं० [सं० प्रावृष्] वर्षा ऋतु। पावस। उ०— प्रावृट् में तव प्रांगण घन गर्जन से हर्षित।—ग्राम्या, पृ० ५७।
⋙ प्रावृट्काल
संज्ञा पुं० [सं०] वर्षाकाल [को०]।
प्रावृत बल्कि हमे नहीं मिला .... प्रावृत हो सकता है गलती से प्रावृट् हो गया हो डिक्शनरी में ..कृपया मार्गदर्शन अवश्य करे जैसे इस शब्द को बदल सकें हम इस चोका से
सौरभ भैया सादर नमस्ते...................अभी ढेढ़ दो घंटे में ट्यूशन से बेटा आ जाये फिर हम अर्थ देते है आपको डिक्शनरी का ...वैसे हो सकता हैं छपने में गलत हो यह तो आप सब जानकार ही बता सकते हैं ...एक आचार्य भैया हैं उनसे पूछते है जबाब देते है तो बताते है
आदरणीय गोपाल चाचाजी सादर नमस्ते ... "आप कम्पूटर में हिन्दी विक्षनरी में प्रा में देखिये मिल जायेगा" कैसे खोजते है डिटेल में बता दीजिये हम भी खोज सकें ..कभी एकाक बार ही हम कम्पूटर पर खोज पातें ...किसी शब्द के अर्थ के लिए क्या लिख खोजना होता है
आदरणीय सौरभ जी !
आपके प्रश्न ने मुझे उलझन में डाल दिया i मुझे ऐसा विश्वास है की मानस में यह कहीं प्रयुक्त हुआ है i पर कहाँ -- i यह ढूढना आसान नहीं है i पर यह शब्द मेरे लिए अपिरचित नहीं था i आप कम्पूटर में हिन्दी विक्षनरी में प्रा में देखिये मिल जायेगा i
मानस से प्रावृट शब्द से सम्बद्ध उद्धरण दें, आदरणीय गोपाल नारायन जी. हमें चूँकि यह शब्द इसी रचना के माध्यम से मिला है, अतः इसके सम्बन्ध में कुछ और जानने को उत्सुक हैं हम.
हमारी जानकारी में वस्तुतः इससे मिलता-जुलता एक शब्द है, प्रावृत. जोकि विशेषण है. अर्थ है, प्रकृष्ट रूप से आवृत, पूरी तरह से ढका हुआ, घिरा हुआ.
आदरणीय चाचाजी सादर आभार आपका ..हमें यह नहीं पता था आपने जानकारी दी आभार दिल से
प्रावृट बदरा बहुत अच्छा शब्द प्रयोग है i पावस का यह पर्याय मनोहारी है i मानस में तुलसी ने प्रयोग किया है i
सुन्दर रचना i
आदरणीय भंडारी भैया सादर नमस्ते ..... शुक्रिया आपका दिल से
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