रंग बिरंगी पुतलियाँ, नयनन रही लुभाय
चित्त्तेरे भगवान् की, देखो महिमा गाय
पुतलियाँ निष्काम सदा, प्रेम से सराबोर
मानव फिर क्यों बन गया, कपटी लम्पट चोर
कठपुतलियाँ प्राण रहित, मानव में है जान
इनको नचाता मानव, मानव को भगवान
निरख निरख ये पुतलियाँ, मन है भाव विहोर
हाथों मेरे डोर है , मेरी प्रभु की ओर
रंग बिरंगी पुतलियाँ, मन को खूब लुभाय
नशा विहीन समाज हो , नाच नाच कह जाय
कठपुतले बन तो गये, पाकर तेरा रंग
डोर काट वे चल दिये , प्रभू रह गये दंग
.
मौलिक और अप्रकाशित
प्रदीप कुमार सिंह कुशवाहा
४-८-२०१४
Comment
सही शब्द चितेरा है, आदरणीय
सन्दर्भ ले लिया सर जी आभार , चितेतेरा ..चित्रकार भगवान समझा मैने
निश्चय ही मैं सदैव प्रयत्नशील रहूँगा कुछ अच्छा कर दिखाने को. अगर ऐसा मार्ग दर्शन मिलता गया तों सफलता दूर नहीं होगी.
सादर आभार
आदरणीय श्री सौरभ पांडे जी
भारतीय छन्द विधान समूह में दोहा सम्बन्धित कुछ पोस्ट हैं. साथ ही, शब्द-संयोजन से सम्बन्धित भी एक लेख है.
मैं इनमें से निम्नलिखित आलेखों साझा कर रहा हूँ. ये हाइपर लिंक में होने से इन पर क्लिक कर क्रमशः उक्त आलेखों तक पहुँचा जा सकता है. आप, आदरणीय, इन्हें पढ़ कर आश्वस्त हो लें. कोई बात पूछनी हो तो उन्हीं आलेखों पर अपनी बात रख सकते हैं. हम समवेत सीखने के क्रम में तथ्यों को साझा करेंगे -
२. दोहा छंद में शुद्धता की आवश्यकता
३. मात्रिक पदों में शब्द-संयोजन
अब दोहे -
रंग बिरंगी पुतलियाँ, नयनन रही लुभाय
चित्त्तेरे भगवान् की, देखो महिमा गाय ... . ............चित्त्तेरे क्या शब्द है ?
पुतलियाँ निष्काम सदा, प्रेम से सराबोर ................. प्रेम से सराबोर में व्यवधान है. शब्द-संयोजन प ध्यान देना होगा.
मानव फिर क्यों बन गया, कपटी लम्पट चोर
कठपुतलियाँ प्राण रहित, मानव में है जान
इनको नचाता मानव, मानव को भगवान ............... इनको नचाता मानव में व्यवधान है. शब्द-संयोजन प ध्यान देना होगा.
निरख निरख ये पुतलियाँ, मन है भाव विहोर ......... विहोर संभवतः विभोर है क्या ?
हाथों मेरे डोर है , मेरी प्रभु की ओर........................ दूसरा पद स्पष्ट नहीं है आदरणीय.
रंग बिरंगी पुतलियाँ, मन को खूब लुभाय
नशा विहीन समाज हो , नाच नाच कह जाय ............ इस दोहे का विशिष्ट कारण है,
कठपुतले बन तो गये, पाकर तेरा रंग
डोर काट वे चल दिये , प्रभू रह गये दंग.. . ............. कौन काट कर चल दिया ? दूसरे पद में वे भ्रम पैदा कर रहा है.
किन्तु, हम हृदय से आभारी हैं और अत्यंत प्रसन्न हैं कि आप छन्दों पर गहन अभ्यास कररहे हैं.
सादर
आदरणीय श्री सौरभ पाण्डेय जी
सादर अभिवादन
मैने अपनी ताकत भर प्रयास किया है, अनुग्रहित होऊंगा यदि प्रक्टिकल करते हुए मुझे मार्ग दर्शन दिया जाए, प्रतीक्षा हमेशा थी और रहेगी.
आभार
आदरणीया मीना जी आपसे तारीफ़ नही सुझाव अपेक्षित हैं सादर आभार
सादर आभार
आदरणीय श्री अमोद जी .
सुंदर ...
इन दोहों को शिल्पगत करने की आवश्यता है. बशर्ते, प्रस्तुति के बन्द दोहे छन्दों का अनुसरण करते हैं.
सादर शुभेच्छाएँ.
बहुत उम्दा दोहे लिखे आपने ...सादर बधाई
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