For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

घनाक्षरी (राम शिरोमणि पाठक"दीपक")

वीर हैं सपूत सारे, भारती के नैन-तारे!
युद्धभूमि में सदैव झंडा गाड़ देते हैं!!

प्रचंड तेज भाल पे,चाहे हो द्व्ंद्व काल से!
भारती के शत्रुओं का,सीना फाड़ देतेहै!!

विश्व धाक मानता है,वीरता को देख देख !
बड़े बड़ों को भी सदा,ये पछाड़ देते है!!

वज़्र के समान देह,नैनों में प्रचंड आग!!
काँप जाता शत्रु जब ,ये दहाड़ देते है!

***************************************

राम शिरोमणि पाठक"दीपक"
मौलिक/अप्रकाशित

Views: 762

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by ram shiromani pathak on August 11, 2014 at 10:50am

हार्दिक आभार आदरणीय गिरिराज जी। .... सादर

Comment by ram shiromani pathak on August 11, 2014 at 10:50am

हार्दिक आभार आदरणीय नरेंद्र  जी। .... सादर

Comment by ram shiromani pathak on August 11, 2014 at 10:49am

हार्दिक आभार आदरणीया राजेश कुमारी  जी। .... सादर

Comment by ram shiromani pathak on August 11, 2014 at 10:49am

हार्दिक आभार आदरणीया छाया जी। .... सादर

Comment by ram shiromani pathak on August 11, 2014 at 10:48am

अमूल्य सुझाव व् उत्साह वर्धन हेतु सदैव  आभारी रहूँगा  आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी। ।   सादर


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on August 10, 2014 at 5:30pm

देख के वीर सेना के सिपाहियों के लिए सुन्दर सार्थक घनाक्षरी लिखी है हार्दिक बधाई जय हिन्द 

आ० सौरभ जी की बात से सहमत हूँ ..थोडा सा सुधार कर लेंगे तो उत्कृष्ट घनाक्षरी बनेगी  


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 10, 2014 at 9:24am

आदरणीय राम शिरोमणि भाई , मुझे छंद का ज्ञान नहीं है , पर पढ़ के अच्छा लगा , रचना के लिए आपको बधाई |


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 10, 2014 at 1:34am

इस घनाक्षरी के शब्द-संयोजन पर ध्यान दें, रामशिरोमणिजी. अपेक्षा है,  आपकी गहन प्रक्रिया पुनः प्रारम्भ हो.

बीर सपूत देश के,दुलारे माँ भारती के !
युद्ध भूमि में सदैव,झंडा गाड़ देते है!! 

इसे घनाक्षरी प्रवाह के अनुरूप यों शाब्दिक करना उचित होगा -

वीर हैं सपूत सारे, भारती के नैन-तारे

युद्धभूमि में सदैव झंडा गाड़ देते हैं ..

देखिये ऊपर किस लिहाज में शब्द-संयोजन हुआ है. तीसरे पद को अनायास आपने इसी लहजे में बाँधा भी है -

विश्व धाक मानता है ,देखकर बीरता को !

इस तीसरे पद के दूसरे चरण को यो किया जाय - वीरता को देख-देख

तब यह पूरा पद होगा - विश्व धाक मानता है, वीरता को देख-देख 

दूसरे पद का प्रारम्भ जगण से होने से प्रवाह वस्तुतः बाधित है. तथा द्व्ंद  सही शब्द नहीं है बल्कि द्व्ंद्व है. 

विश्वास है, आप तथ्यों को गहराई से समझने का सार्थक प्रयास करेंगे.

शुभेच्छाएँ.

Comment by Chhaya Shukla on August 9, 2014 at 11:23am

लाजवाब घनाक्षरी आपकी 
बधाई स्वीकारें सादर ! 

Comment by ram shiromani pathak on August 8, 2014 at 6:54pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय !!  मो ० नंबर है 9879586486 ////  सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"दोहे******करता युद्ध विनाश है, सदा छीन सुख चैनजहाँ शांति नित प्रेम से, कटते हैं दिन-रैन।१।*तोपों…"
10 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"सादर अभिवादन, आदरणीय।"
10 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"स्वागतम्"
16 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"अनुज बृजेश , आपका चुनाव अच्छा है , वैसे चुनने का अधिकार  तुम्हारा ही है , फिर भी आपके चुनाव से…"
yesterday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"एक अँधेरा लाख सितारे एक निराशा लाख सहारे....इंदीवर साहब का लिखा हुआ ये गीत मेरा पसंदीदा है...और…"
yesterday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"//मलाई हमेशा दूध से ऊपर एक अलग तह बन के रहती है// मगर.. मलाई अपने आप कभी दूध से अलग नहीं होती, जैसे…"
yesterday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आदरणीय जज़्बातों से लबरेज़ अच्छी ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद पेश करता हूँ। मतले पर अच्छी चर्चा हो रही…"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 179 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"बिरह में किस को बताएं उदास हैं कितने किसे जगा के सुनाएं उदास हैं कितने सादर "
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"सादर नमन सर "
yesterday
Mayank Kumar Dwivedi updated their profile
Thursday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"धन्यवाद आ. अमीरुद्दीन अमीर साहब.दूध और मलाई दिखने को साथ दीखते हैं लेकिन मलाई हमेशा दूध से ऊपर एक…"
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service