“भाभी, अगर कल तक मेरी राखी की पोस्ट आप तक नहीं पँहुची तो परसों मैं आपके यहाँ आ रही हूँ भैया से कह देना ” कह कर रीना ने फोन रख दिया|
अगले दिन भाभी ने सुबह ११ बजे ही फोन करके कहा, "रीना राखी पहुँच गई है ”
"पर भाभी मैंने तो इस बार राखी पोस्ट ही नहीं की थी !!! "
(मौलिक एवं अप्रकाशित )
Comment
हाँ राहिला जी ,ये मेरी ही लघु कथा है पिछले साल भी किसी ने बताया था की आपकी लघु कथा बिना आपके नाम के कई जगह देखी गई
इस बार तो घूम घाम कर मेरे ही पास आ गई व्हाट्स अप पर :))))))) ये तो अच्छा है ओबिओ पर डेट और टाइम पड़ा रहता है पब्लिश होने के वक़्त |
आपका बहुत- बहुत शुक्रिया
आद० शेख़ उस्मानी जी, दो साल पुरानी इस लघु कथा पर किसी वजह से आज आना हुआ आपने इस लघु कथा पर शिरकत की तथा सराहना की इस लघु कथा का मान और बढ़ गया आपका तहे दिल से आभार |
सीमा जी ,आज ये लघु कथा घूमती हुई व्हाट्स अप पर मेरे ही पास आ गई चोरी की इन्तहा देखिये मेरा नाम भी डाला होता तो ख़ुशी होती |इसी बहाने आज इतने दिन बाद आपकी प्रतिक्रिया इस लघु कथा पर पढ़ी बहुत अच्छा लगा हार्दिक आभार आपका |
बहुत- बहुत हार्दिक आभार महेश्वरी कनेरी जी.
बहुत सुंदर व्यंग्यात्मक लघु कथा , बधाई ;राजेश जी,
आ० कल्पना रामानी जी ,आपको ये लघु कथा पसंद आई मेरा लिखना सार्थक हुआ ,हार्दिक आभार आपका |
आजकल के परिवारों में यह सब आम हो गया है। कसी हुई शैली में अति सुंदर लघुकथा के लिए आपको ढेरों बधाइयाँ प्रिय राजेश कुमारी जी,
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