“भाभी, अगर कल तक मेरी राखी की पोस्ट आप तक नहीं पँहुची तो परसों मैं आपके यहाँ आ रही हूँ भैया से कह देना ” कह कर रीना ने फोन रख दिया|
अगले दिन भाभी ने सुबह ११ बजे ही फोन करके कहा, "रीना राखी पहुँच गई है ”
"पर भाभी मैंने तो इस बार राखी पोस्ट ही नहीं की थी !!! "
(मौलिक एवं अप्रकाशित )
Comment
अन्नापूर्णा बाजपेयी जी ,आपको ये लघु कथा पसंद आई आपका हार्दिक आभार.
बहुत सुंदर व्यंग्यात्मक लघु कथा , ज़्यादातर घरों मे ऐसा ही होता है । आपको बहुत बहुत बधाई आ0 राजेश दीदी ।
मीना पाठक जी ,आपको लघु कथा पसंद आई दिल से आभार आपका |
हर दूसरे घर की कहानी ...बहुत सुन्दर शब्दकसी ,, बहुत बहुत बधाई आप को
छाया शुक्ला जी ,आपने सही कहा हर तीसरे कदम पर ऐसा कुछ देखने सुनने को मिल जाएगा रिश्तों के मायने ही बदल रहे हैं,आपको ये लघु कथा पसंद आई मेरा लिखना सार्थक हुआ ,दिल से आभार आपका.
ये लघु कथा कई घरों की सच्चाई लग रही है राजेश कुमारी जी सत्य उद्घाटित कथा के लिए बधाई ; सादर नमन !
शुभ्रांशु पाण्डेय जी,आपकी बातों से पूर्णतः सहमत हूँ कितनी रफ़्तार से ज़माना बदल रहा है रिश्ते पीछे छूटते जा रहे हैं ,आपको लघु कथा पसंद आई मेरा लिखना सार्थक हुआ दिल से आभारी हूँ |
आ० रवि प्रभाकर जी,आप जैसे संवेदन शील कथा कार से सकारात्मक प्रतिक्रिया पाकर ये लघु कथा सार्थक हो गई है अपने लेखन के प्रति सराहना पाकर मेरी कलम ऊर्जस्वी हुई है दिल से आभारी हूँ .
आदरणीया राजेश कुमारी जी,
आभासी दुनिया में जीते जीते हम इतने आत्मकेन्द्रित, आत्म प्रेमी होते गये कि भौतिक सम्बन्धों से हम पीछा छुडा़ना चाहते हैं. उन्हे भी अब एक फ़ोन काल की तरह होल्ड पे डालना चाहते हैं.
सुन्दर कथा. भाभी ने पीछा छुडाने के लिये शायद यही सोचा था.
सादर.
आदरणीय राजेश कुमारी जी,
आपकी प्रेषित लघुकथा बहुत सुन्दर लगी। दैनिक जीवन में से एक साधारण
सी लगने वाली घटना का आपने अत्यंत सजीव चित्रण किया है।
लघुकथा का प्रभाव उसके आकार से विपरीत अनुपात रखता है।
सो, इस प्रभाव की तीक्ष्णता के लिए इसका आकार लघु होना अत्यंत ही आवश्यक है।
संभवतः यह आपकी सर्वश्रेष्ठ लघुकथा है। ग़ज़ल तो माशा अल्लाह आप बहुत ही खूबसूरत
लिखती हैं। बहुत ही प्रभावशाली प्रस्तुति एवं सुन्दर संदेश लिए इस लघुकथा के लिए आपको हृदय से शुभकामनाएं।
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