For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दूर देश ब्याही बहिन, बाबुल हुआ उदासl

भाई लेने चल दिया, सावन आया पासll

----

बहना गहना डाल के, ले हाथों में थालl

भाई के घर आ गयी,तिलक मांडने भालll

----

हाथों में मंहदी लगा, बहना है तैयार l

बाबुल के अँगना बही, सुखद नेह की धार ll

----

भाई बहना मिल रहे, खुश माँ का संसार l

बाबुल के मन गिर रही, सावन की बौछार ll

----

कच्चे धागे में बंधा, भ्रात भगनि का प्यार l

अनुपम सकल जहान में, राखी का त्यौहार ll

----

राखी बंधन प्रेम का, होता है अनमोल l

देकर अपनी जान भी, चुका सका क्या मोलll

**हरि वल्लभ शर्मा दि.10.08.2014

(मौलिक एवं अप्रकाशित )

Views: 815

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on August 12, 2014 at 11:36am

आदरणीय हरिबल्लभ जी ,

इस सुन्दर दोहावली के लिए हार्दिक बधाई .

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on August 12, 2014 at 9:50am

अति सुंदर दोहावली. बहुत ही सुंदर भाव ,बधाई आपको आदरणीय हरिबल्लभ जी

Comment by vijay nikore on August 11, 2014 at 7:57pm

इस पावन पर्व के प्रति कोमल भाव अच्छे उतरे हैं आपकी रचना में। हार्दिक बधाई, आ० हरिवल्लभ जी


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 11, 2014 at 1:51pm

आदरणीय हरि भाईजी, दोहों के विषम चरणन्त के लिए मात्र तीन लघु या रगण आदि के अलावा ’शब्द-कल’ को भी देखना आवश्यक है. जिनके अनुसार उच्चारण के क्रम में शब्दों में अक्षरों पर आवश्यक भार पड़ता है. इसकी चर्चा मैं आपसे बातचीत के क्रम में कर चुका हूँ.

आप आवश्यक समझें तो तदनुरूप परिवर्तन कर लें. अन्यथा ’पहन के’ से विषम चरणान्त होने से ’पहन’ के ’हन’ पर शब्दभार पड़ता है जो कि एक गुरु का आभास कराता है और फिर ’के’ आता है. यानि दो गुरुओं की आभासी उपस्थिति वाचन में दोष तो उत्पन्न करेगी ही.  यदि ऐसा होना मान्य हो जाय, तो फिर दोहों के विषम चरणान्त दो गुरुओं से क्यों न हों ?

है न ?

सादर

Comment by harivallabh sharma on August 11, 2014 at 1:29pm

आदरणीय ram shromani pathak जी आपका स्नेह मिला बहुत आभार आपका.

Comment by harivallabh sharma on August 11, 2014 at 1:27pm

आदरणीय Saurabh Pandey जी आपने दोहों पर अपनी सूक्ष्म द्रष्टि से मेरे दोष अवगत कराये दरअसल प्रथम चरण के अंत में तीन लघु आ रहे थे इस कारण मैंने लिए थे ..अब आपके सुझाव अनुसार परिवर्तित कर रहा हूँ..टंकण त्रुटी भी सुधार रहे हैं सादर आभार आपका.

Comment by harivallabh sharma on August 11, 2014 at 1:22pm

आदरणीय डॉ.गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी आपका स्नेह मिला आपका बहुत आभर ..सादर.

Comment by harivallabh sharma on August 11, 2014 at 1:21pm

आदरणीया rajesh kumari जी आपका सुलभ स्नेह एवं परामर्श मेरे लिए बहुमूल्य है..आपके सुझाव अनुरूप परिवर्तन किया जाता है...सादर आभार आपका.

Comment by harivallabh sharma on August 11, 2014 at 1:18pm

आदरणीय Dr. Vijay Shanker जी आपका रचना पर स्नेह मिला बहुत आभार आपका...

Comment by ram shiromani pathak on August 11, 2014 at 12:32pm

सुन्दर प्रस्तुति आदरणीय,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Shabla Arora updated their profile
2 hours ago
Shabla Arora is now a member of Open Books Online
5 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"आदरणीय सौरभ जी  आपकी नेक सलाह का शुक्रिया । आपके वक्तव्य से फिर यही निचोड़ निकला कि सरना दोषी ।…"
5 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"शुभातिशुभ..  अगले आयोजन की प्रतीक्षा में.. "
20 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"वाह, साधु-साधु ऐसी मुखर परिचर्चा वर्षों बाद किसी आयोजन में संभव हो पायी है, आदरणीय. ऐसी परिचर्चाएँ…"
20 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"आदरणीय सौरभ जी सादर प्रणाम, प्रदत्त विषयानुसार मैंने युद्ध की अपेक्षा शान्ति को वरीयता दी है. युद्ध…"
20 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"   आदरणीय अजय गुप्ता जी सादर, प्रस्तुत गीत रचना को सार्थकता प्रदान करती प्रतिक्रिया के…"
21 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी सादर, नाश सृष्टि का इस करना/ इस सृष्टि का नाश करना/...गेयता के लिए…"
21 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"  आदरणीय गिरिराज भण्डारी जी सादर, प्रस्तुत गीत रचना को प्रदत्त विषयानुरूप पाने के लिए आपका…"
21 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"क्या ही कथ्य, क्या ही तथ्य और क्या ही प्रवाह .. वाह वाह वाह ..  आदरणीय अशोक भाईजी, आपने…"
22 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"युद्ध की विभीषिका की चेतावनी देती उत्तम रचना हुई आ॰ अशोक जी। सभी भाव पसंद आए।"
22 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"अच्छी ग़ज़ल हुई है आदरणीय। परिवर्तित मतला और शेर भी बहुत प्रभावी बन पड़ा है। मंच को लाभान्वित करने…"
22 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service