For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

छोटी बह्र की एक ग़ज़ल-रात

जैसे जैसे बिख़री रात,
बिस्तर बिस्तर पिघली रात.
.

चाँद के साथ बदलती रँग,
काली भूरी कत्थई रात.
.

चाँद ज़मीं पर उतरा था,
हुई अमावस पिछली रात.
.
एक शम’अ थी साथ मेरे,  
फिर भी तन्हा सुलगी रात.
.

आते आते ख्व़ाब तेरे,
दामन से क्यूँ फ़िसली रात.

.
दौर चलेंगे यादों के,
लिया करेगी हिचकी रात.  
.
पिया गए परदेस सखी,
भीगी सहमी सिसकी रात.    
.

रात के बाद सवेरा है,
सुब्ह से पहले गहरी रात.
.
निलेश "नूर"

Views: 657

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Nilesh Shevgaonkar on April 23, 2015 at 2:40pm

:):) आभार 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on April 23, 2015 at 2:36pm

कई बार होता है.. हम ’उन’ गलियों में एक बार फिर टहल आते हैं..

आज वैसा ही मन कर गया.. :-))

Comment by Nilesh Shevgaonkar on April 23, 2015 at 2:27pm

शुक्रिया आ. सौरभ सर.. 
आज कुदाल फावड़े ले कर कहाँ मोएन-जो-दारो की ख़ुदाई पर निकल आए आप :)


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on April 23, 2015 at 2:02pm

कई शेर बहुत महीन हैं. बहुत-बहुत महीन.

आदरणीय नीलेशजी, आपकी इस ग़ज़ल पर क्या कहूँ, बस मुग्ध हूँ. .. दौर चलेंगे यादों के / लिया करेगी हिचकी रात !
जय हो..

Comment by Nilesh Shevgaonkar on August 17, 2014 at 5:30pm

धन्यवाद आ. डॉ आशुतोष मिश्रा जी ..
मात्रा क्रम है 22/22/22/2 +1 (ऑप्शनल)

Comment by Nilesh Shevgaonkar on August 17, 2014 at 5:29pm

धन्यवाद आ. राम शिरोमणि पाठक जी 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on August 17, 2014 at 2:54pm

आदरणीय नीलेश जी ..हर शेर बेहद भाया //कृपया मात्रिक क्रम लिखने का कष्ट करें ..धन्यवाद और सादर बधाई के साथ 

Comment by ram shiromani pathak on August 17, 2014 at 10:31am

वाह भाई नीलेश जी बहुत ही प्यारी ग़ज़ल ........      हार्दिक बधाई आपको

Comment by Nilesh Shevgaonkar on August 15, 2014 at 12:20pm
शुक्रिया आ सौरभ सर

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 15, 2014 at 12:19am

ऐसी प्रस्तुतियों पर महज़ वाह-वाह नहीं करते, इन्हें गुनते हैं. मुग्ध हूँ, आदरणीय नीलेशजी.

सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"स्वागतम"
3 hours ago
धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

देवता चिल्लाने लगे हैं (कविता)

पहले देवता फुसफुसाते थेउनके अस्पष्ट स्वर कानों में नहीं, आत्मा में गूँजते थेवहाँ से रिसकर कभी…See More
5 hours ago
धर्मेन्द्र कुमार सिंह commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिले (ग़ज़ल)
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय,  मिथिलेश वामनकर जी एवं आदरणीय  लक्ष्मण धामी…"
6 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185

परम आत्मीय स्वजन, ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 185 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Wednesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, प्रस्तुति पर आपसे मिली शुभकामनाओं के लिए हार्दिक धन्यवाद ..  सादर"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

आदमी क्या आदमी को जानता है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ कर तरक्की जो सभा में बोलता है बाँध पाँवो को वही छिप रोकता है।। * देवता जिस को…See More
Tuesday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Monday
Sushil Sarna posted blog posts
Nov 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Nov 5
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

देवता क्यों दोस्त होंगे फिर भला- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२ **** तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१। * देवता…See More
Nov 5

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
Nov 2

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service