For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मन में सद्विचार रहे, नेक करे वह काम,

फल की इच्छा छोड़कर, कर्म करे निष्काम

कर्म करे निष्काम,  भाव संतोषी पाते

काम क्रोध मद लोभ स्वार्थ के रंग दिखाते

कर लक्षमण सद्कर्म नम्रता रहे वचन में

गीता में सन्देश, रहे निश्छलता मन में ||

(2)

करे प्रशंसा स्वयं की, और स्वयं से प्रीत,

आत्म मुग्ध के आग्रही, ये दर्पण के मीत

ये दर्पण के मीत,  संग चमचों के रहते

अपने को सर्वोच्च अन्य को तुच्छ समझते

कह लक्ष्मण कविराज इन्हें भाती अनुशंसा

इनको होता हर्ष, तभी जब करे प्रशंसा ||

(मौलिक व अप्रकाशित) 

 

Views: 530

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on August 22, 2014 at 3:37pm

संशोधन की पुष्टि करने के लिए आभार आदरणीय |

सादर 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 22, 2014 at 3:32pm

सादर धन्यवाद आदरणीय

बहुत सही संशोधन किया है आपने. ..

शुभ-शुभ

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on August 22, 2014 at 3:27pm

छंद सार्थक बता उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार श्री सौरभ भाई जी | 

आपकी टिपण्णी की मै इसीलिए प्रतीक्षा करता हूँ कि छंद का सही परिक्षण से लाभान्वित हो सकूँ |

आपकी नजरों से छंद का दोष ओझल नहीं हो सकता |

प्रथम व तृतीय चरण का अंत यगण,जगण से नहीं हो सकता | 

करे प्रशंसा स्वयं की, और स्वयं से प्रीत, की जगह --- स्वयं प्रशंसा कर रहे, और स्वयं से प्रीत  क्या ठीक लगता है आदरणीय ?

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on August 22, 2014 at 3:09pm

हार्दिक आभार स्वीकारे आदरणीय श्री विजय निकोरे जी 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on August 22, 2014 at 3:08pm

छंद के कथ्य और भाव पसंद करने के लिए आपका हार्दिक आभार श्री विजय मिश्र जी 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 22, 2014 at 1:09am

सार्थक और सटीक !  बहुत खूब !  दोनों कुण्डलिया मन भायीं.

बस एक प्रश्न, आदरणीय  ... स्वयं की क्या यगण नहीं बनाता ? तो क्या यगण से दोहे वाले भाग के विषम चरण का अंत हो सकता है ?

Comment by vijay nikore on August 21, 2014 at 2:53pm

अति सुन्दर। बधाई, आदरणीय लक्ष्मण जी।

Comment by विजय मिश्र on August 21, 2014 at 11:33am
दर्शन और यथार्थ का सुंदर ताल-मेल है इन सुंदर छंदों में |बधाई लक्ष्मण भाई |
Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on August 20, 2014 at 10:25am

छंद सराहने के लिए आपका हार्दिक आभार श्री गिरिराज भंडारी जी 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on August 20, 2014 at 9:48am

कुण्डलिया छंद पसब्द करने के लिए शुक्रिया श्री लक्ष्मण धामी जी एवं श्री जवाहर लाल सिंह जी 

आप मेरी कुण्डलिया पढ़ते रहे है, यह जानकार ख़ुशी हुई श्री जवाहर लाल सिंह जी 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"सतरंगी दोहेः विमर्श रत विद्वान हैं, खूंटों बँधे सियार । पाल रहे वो नक्सली, गाँव, शहर लाचार…"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"आ. भाई रामबली जी, सादर अभिवादन। सुंदर सीख देती उत्तम कुंडलियाँ हुई हैं। हार्दिक बधाई।"
3 hours ago
Chetan Prakash commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"रामबली गुप्ता जी,शुभ प्रभात। कुण्डलिया छंद का आपका प्रयास कथ्य और शिल्प दोनों की दृष्टि से सराहनीय…"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"बेटी (दोहे)****बेटी को  बेटी  रखो,  करके  इतना पुष्टभीतर पौरुष देखकर, डर जाये…"
7 hours ago
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार सुशील भाई जी"
yesterday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार समर भाई साहब"
yesterday
रामबली गुप्ता commented on सालिक गणवीर's blog post ग़ज़ल ..और कितना बता दे टालूँ मैं...
"बढियाँ ग़ज़ल का प्रयास हुआ है भाई जी हार्दिक बधाई लीजिये।"
yesterday
रामबली गुप्ता commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post करते तभी तुरंग से, आज गधे भी होड़
"दोहों पर बढियाँ प्रयास हुआ है भाई लक्ष्मण जी। बधाई लीजिये"
yesterday
रामबली गुप्ता commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक - गुण
"गुण विषय को रेखांकित करते सभी सुंदर सुगढ़ दोहे हुए हैं भाई जी।हार्दिक बधाई लीजिये। ऐसों को अब क्या…"
yesterday
रामबली गुप्ता commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (ग़ज़ल में ऐब रखता हूँ...)
"आदरणीय समर भाई साहब को समर्पित बहुत ही सुंदर ग़ज़ल लिखी है आपने भाई साहब।हार्दिक बधाई लीजिये।"
yesterday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आहा क्या कहने भाई जी बढ़ते संबंध विच्छेदों पर सभी दोहे सुगढ़ और सुंदर हुए हैं। बधाई लीजिये।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"सादर अभिवादन।"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service