For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कमाई...(लघुकथा)

मंदबुद्धि और भोला रामदीन वर्षों से अपने परिवार व् गाँव  से  दूर , दूसरे गाँव  में काम करके अपने परिवार में अपनी पत्नी व् बेटे का पालन करते-करते, विगत कुछ महीनों से बहुत थक चुका है. शरीर से बहुत कमजोर भी हो गया है , आखिर उम्र भी पचपन-छप्पन के लगभग जो हो गई.  अब तो कभी-कभी खाना ही नही खा पाता. पहले कई वर्षों तक रामदीन का मालिक उसके परिवार तक उसकी पगार पंहुचा दिया करता था. अब रामदीन का बेटा बड़ा हो गया है, कमाने भी लगा है अपने ही गाँव में. कुछ महीनों से उसकी पगार लेने भी आता जाता है..

..आज फिर रामदीन की पगार का दिन है, उसका बेटा आया हुआ है. रामदीन एक उम्मीद लिए हुए  मालिक के घर, दरवाजे पर खड़ा है शायद  उसकी  इस माह की पगार के साथ उसका बेटा उसे भी अपने साथ ले जाए..

“देखो भाई!! अब तुम्हारे पिता से कोई काम नही बनता, आये दिन बीमार बने रहते है. उन्हें तो तुम अब अपने साथ ले जाओ, अब तो तुम भी कमाने लगे हो ”   मालिक ने रामदीन के बेटे को कहा

“ बस! आप बस कुछ समय और निकाल दो . आप तो जानते ही हो महंगाई कितनी ज्यादा हो गई है, पिताजी की कमाई का बड़ा सहारा है”   रामदीन के बेटे ने मालिक को कहा

       अपने बेटे और मालिक की बातें सुनकर रामदीन दरवाजे से बाहर की ओर चल दिया,  यह सोचकर की अगले माह उसका बेटा उसे....

    

      जितेन्द्र ‘गीत’

(मौलिक व् अप्रकाशित)     

Views: 967

Facebook

You Might Be Interested In ...

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 21, 2014 at 10:01pm

आदरणीय जितेन्द्र भाई , बहुत सुन्दर लघुकथा , आपको बधाई इस रचना के लिए |

Comment by भुवन निस्तेज on August 21, 2014 at 6:00pm

सजीव चित्रण .......... बधाई स्वीकार करें आदरणीय...

Comment by विजय मिश्र on August 21, 2014 at 5:01pm
गीतजी , सुंदर लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई
Comment by vijay nikore on August 21, 2014 at 3:17pm

इस अच्छी लघु कथा के लिए बधाई, आदरणीय जितेन्द्र जी।

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on August 21, 2014 at 9:06am

आदरणीय रवि जी,

लघुकथा पर आपकी और आदरणीय शुभ्रांशु जी के परामर्श से मुझे बहुत ख़ुशी मिली. यही तो सीखने को प्रेरित करता है यह बात मुझे पहले से विदित है. क्युकी आज जो कुछ भी थोडा-बहुत लिखना सीखा वो सब इसी मंच से मिले आप सभी मित्रों व् सुधीजनों का स्नेह व् मार्गदर्शन है. मैंने तो नर्सरी से दाखिला लिया है :))

हाँ कुछ लोग होते है जो अपनी रचनाओं पर किसी सुधिजन के परामर्श को टांग खीचना समझते है. और रही बात अन्यथा की तो ओ बी ओ हमारा अपना परिवार है परिवार में किसी की भी दी हुई सीख या परामर्श को अन्यथा लेना तौबा-तौबा.

आपके स्नेह व् मार्गदर्शन का ह्रदय से आभारी हूँ आदरणीय रवि जी. अपना स्नेहिल मार्गदर्शन हमेशा बनाये रखियेगा

सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on August 20, 2014 at 10:59pm

लघुकथा पर आपकी उपस्थिति हेतु आपका हार्दिक आभार आदरणीया सविता जी.

सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on August 20, 2014 at 10:57pm

आपका हार्दिक आभार आदरणीय श्याम नारायण जी

सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on August 20, 2014 at 10:56pm

यह सब आप व् सभी सुधीजनों के मार्गदर्शन से ही सीखा है आदरणीय डा.गोपाल जी. आपका ह्रदय से आभारी हूँ, आशीर्वाद बनाये रखियेगा

सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on August 20, 2014 at 10:54pm

आपका ह्रदय से आभार आदरणीय विनय जी

सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on August 20, 2014 at 10:53pm

आपका कहना बिलकुल सही है आदरणीय डा.विजय जी. विवशता बहुत कुछ करवा देती है जीवन में. रचना पर आपकी उपस्थिति हेतु आपका ह्रदय से आभार.स्नेह बनाये रखियेगा

सादर!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल के लिए आपको हार्दिक बधाई "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी and Mayank Kumar Dwivedi are now friends
yesterday
Mayank Kumar Dwivedi left a comment for Mayank Kumar Dwivedi
"Ok"
Sunday
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी रिश्तों पर आधारित आपकी दोहावली बहुत सुंदर और सार्थक बन पड़ी है ।हार्दिक बधाई…"
Apr 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"तू ही वो वज़ह है (लघुकथा): "हैलो, अस्सलामुअलैकुम। ई़द मुबारक़। कैसी रही ई़द?" बड़े ने…"
Mar 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"गोष्ठी का आग़ाज़ बेहतरीन मार्मिक लघुकथा से करने हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह…"
Mar 31
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आपका हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी।"
Mar 31
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। बहुत सुंदर लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
Mar 31
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"ध्वनि लोग उसे  पूजते।चढ़ावे लाते।वह बस आशीष देता।चढ़ावे स्पर्श कर  इशारे करता।जींस,असबाब…"
Mar 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"स्वागतम"
Mar 30
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. रिचा जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Mar 29
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Mar 29

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service