For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

" कितने गंदे लोग हैं , छी , सब तरफ गन्दगी ही गन्दगी , उधर किनारे चलते हैं " कहते हुए लड़का बड़े प्यार से हाथ पकड़ कर उसे किनारे ले गया और आँखों में आँखें डाल कर खो गए दोनों |

" साहब मूंगफली ले लो , टाइम पास " |

" ठीक है , दे दो " , और फटाफट पैसे देकर रुखसत किया उसको |

पता ही नहीं चला , कब मूंगफली ख़त्म हो गयी और अँधेरा हो गया | दोनों उठ कर चलने लगे |

लेकिन जैसे ही लड़की ने झुक कर छिलके उठाये , लड़के का हाथ अपने गाल पर चला गया |  

मौलिक एवम अप्रकाशित

Views: 743

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by विनय कुमार on August 22, 2014 at 9:40pm

आभार डॉ आशुतोष मिश्राजी..

Comment by विनय कुमार on August 22, 2014 at 9:39pm

आभार गिरिराज भण्डारीजी ..


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on August 22, 2014 at 7:04pm

अच्छी सीख देती सार्थक लघु कथा ...बहुत बहुत बधाई आपको 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on August 22, 2014 at 3:55pm

गंदगी फैलाने वालो को कोसते हुए सब साफसुथरी जगह की तलाश में रहते है, मगर स्वयं ही गंदगी फैलाते समय अपने अंतस को नहीं टटोलते | ऐसे में लड़की का छिलके उठाने पर आपनी गलती का अहसास हुआ जो किसी तमाचे का कम नहीं | यही बात 

इस लघु कथा का सार्थक सन्देश भी है | बहुत बहुत बधाई 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 22, 2014 at 3:36pm

अच्छी-भली जगह को अक्सर लोग ऐसे ही गन्दा करते हैं.  अच्छे विन्दु को उठाया है आपने.

प्रस्तुति हेतु बधाई

Comment by Dr Ashutosh Mishra on August 22, 2014 at 2:38pm

आदरणीय विनय  जी इस सुंदर संदेशप्रद लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई सादर ..


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 21, 2014 at 10:05pm

अच्छी लघुकथा , आदरणीय बधाई इस रचना के लिए |

Comment by विनय कुमार on August 21, 2014 at 8:44pm

आभार आपका जवाहरलाल जी , जो आपने समय दिया कहानी पर | दरअसल लड़का कुछ ही देर पहले गन्दगी के लिए सबको कोस रहा था और खुद मूंगफली के छिलके वहीँ फैलाकर ( गन्दगी करके  ) चलने लगता है | लेकिन लड़की को गन्दगी फैलाना उचित नहीं लगता और वो झुककर छिलके उठा लेती है ताकी कहीं डस्टबिन में डाल सके | इसी को प्रतीक रूप में मैंने लिखा है कि लड़के को अपनी हरक़त पर लड़की का तमाचा लगता महसूस हुआ | 

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on August 21, 2014 at 8:33pm

लेकिन जैसे ही लड़की ने झुक कर छिलके उठाये , लड़के का हाथ अपने गाल पर चला गया |  - मुझे समझ में नहीं आया, कृपया समझाने का प्रयास करेंगे? आदरणीय श्री विजय कुमार सिंह जी!

Comment by विनय कुमार on August 21, 2014 at 1:47am

आभार सविता मिश्राजी..

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ की नहीं धरा कोई तुलना है  माँ तो माँ है, देवी होती है ! माँ जननी है सब कुछ देती…"
2 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय विमलेश वामनकर साहब,  आपके गीत का मुखड़ा या कहूँ, स्थायी मुझे स्पष्ट नहीं हो सका,…"
3 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय, दयावान मेठानी , गीत,  आपकी रचना नहीं हो पाई, किन्तु माँ के प्रति आपके सुन्दर भाव जरूर…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय दयाराम मैठानी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय दयाराम मैठानी जी प्रदत्त विषय पर आपने बहुत सुंदर रचना प्रस्तुत की है। इस प्रस्तुति हेतु…"
8 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी, अति सुंदर रचना के लिए बधाई स्वीकार करें।"
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"गीत ____ सर्वप्रथम सिरजन अनुक्रम में, संसृति ने पृथ्वी पुष्पित की। रचना अनुपम,  धन्य धरा…"
13 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ पांडेय जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
17 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"वाह !  आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त विषय पर आपने भावभीनी रचना प्रस्तुत की है.  हार्दिक बधाई…"
17 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ पर गीत जग में माँ से बढ़ कर प्यारा कोई नाम नही। उसकी सेवा जैसा जग में कोई काम नहीं। माँ की…"
19 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय धर्मेन्द्र भाई, आपसे एक अरसे बाद संवाद की दशा बन रही है. इसकी अपार खुशी तो है ही, आपके…"
yesterday
धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

शोक-संदेश (कविता)

अथाह दुःख और गहरी वेदना के साथ आप सबको यह सूचित करना पड़ रहा है कि आज हमारे बीच वह नहीं रहे जिन्हें…See More
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service