गागा लगा लगा /लल /गागा लगा लगा
तालीम-ओ-तरबीयत ने यूँ ख़ुद्दार कर दिया,
चलने से राह-ए-कुफ़्र पे इनकार कर दिया.
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मै ज़ीस्त के सफर में गलत मोड़ जब मुड़ा,
मेरी ख़ुदी ने मुझको ख़बरदार कर दिया.
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इज़हार-ए-इश्क़ में वो नज़ाकत नहीं रही,
क्या दिल की धडकनों को भी अखबार कर दिया??
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“हम आदमी थे काम के” ग़ालिब तेरी तरह,
लेकिन हमें भी इश्क़ ने बेकार कर दिया.
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सुन ऐ हकीम अब तू दवा मैक़दे की दे,
तेरी दवाइयों ने तो बीमार कर दिया.
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फिर आज उनकी तल्ख़ बयानी हुई है तेज़,
फिर आज मैंने मिलने से इनकार कर दिया.
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बरसा ख़ुदा का “नूर” तो रौशन हुई ग़ज़ल,
जुगनू बना के मुझ को चमकदार कर दिया.
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निलेश "नूर"
मौलिक व अप्रकाशित
Comment
आ. सौरभ सर ...आपसे दाद पाना अपने आप में गर्व का विषय है ..
शुक्रिया दिल से
सुन ऐ हकीम अब तू दवा मैक़दे की दे,
तेरी दवाइयों ने तो बीमार कर दिया.
बरसा ख़ुदा का “नूर” तो रौशन हुई ग़ज़ल,
जुगनू बना के मुझ को चमकदार कर दिया.
क्या नूरानी बात कही है आपने बहुत खूब;;;सुंदरा बधाई हो आपको।
अय हय हय ..!
कई बार कह चुका हूँ, आज फिर कह रहा हूँ. आप जब अपनी रौ में होते हैं तो सिर्फ़ और सिर्फ़ आप होते हैं, दूसरा कोई नहीं होता.
वाह-वाह-वाह !
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