यह जीवन महावटवृक्ष है।
सोलह संस्कारों से संतृप्त
सोलह शृंगारों से अभिभूत है
देवता भी जिसके लिए लालायित
धरा पर यह वह कल्पवृक्ष है।
यह जीवन महावटवृक्ष है।।
सुख-दु:ख के हरित पीत पत्र
आशा का संदेश लिए पुष्प पत्र
माया-मोह का जटाजूट यत्र-तत्र
लोक-लाज, मर्यादा,
कुटुम्ब, कर्तव्य, कर्म,
आतिथ्य, जीवन-मरण
अपने-पराये, सान्निध्य, संत समागम,
भूत-भविष्य में लिपटी आकांक्षा,
जिस में छिपा जीवन का मर्म,
उस गृहस्थाश्रम का यह वंशवृक्ष है।
यह जीवन महावटवृक्ष है।।
एक ब्रह्म, दो पक्ष निबंध,
त्रिदेवों का अप्रतिम प्रबन्ध,
चतुरानन की जीवन भक्ति,
पंचमहाभूतों से निर्मित मानवशक्ति,
षड् रिपु से संलिप्त देह आसक्ति,
सप्तऋषियों से प्रकाशित भूमंडल चराचर,
अष्टांगयोग का प्रभविष्णु कवचधर,
नवग्रहों के आशीष का यह दशकुल वृक्ष है।
यह जीवन महावटवृक्ष है।।
पुराण,उपनिषद, वेद, ब्राह्मण, दर्शन,
ब्रह्माण्ड का अनसूय प्रतीक,
धरा का एक अनोखा अवतार,
सहस्त्र रश्मियों से निखर
प्रकृति की गोद में पल्लवित,
ऋतुओं के समागम और
रत्ननिधि का अमूल्य रत्नजित,
कोटि-कोटि आशीष से परिपूर्ण,
देव भी अवतारित हुए लिए शरीर
कर्म से हुआ जर्जर भले ही,
संस्कारों से बना प्रवीण
सहस्त्र बाहुओं में निबद्ध महाशक्तिशाली,
यह कमल कुल वल्लभ का लक्ष्य है
अंत:सलिला के अजस्र प्रवाह से ,
झूमता फलता-फूलता तटवृक्ष है।
यह जीवन महावटवृक्ष है।।
*मौलिक एवं अप्रकाशित*
Comment
आभार श्रीयुत भंडारीजी एवं जितेंद्रजी ।
बहुत सुंदर कल्पना जीवन की, एक महावटवृक्ष से. जिसकी जड़े बहुत फैली हुई गहरी रहती है, जो कहीं किसी भी स्थिति से सामना करने को तैयार होती है. बड़ी-बड़ी शाखाएं जो अपनी शीतल छाँव बनाये रखे. ऐसे ही जीवन को या काल्पनिक वृक्ष की आज के समय में बहुत कमी सी दिखती है. बदरहाल आपको प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई आदरणीय डा.गोपाल कृष्ण जी
आभार राजेश कुमारीजी एवं नरेंद्र सिंह जी।
आपकी प्रस्तुति ने सम्पूर्ण जीवन का मूल्यांकन किया है बहुत शानदार प्रस्तुति ,हार्दिक बधाई आपको आ० डॉ.गोपाल कृष्ण जी.
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