For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बस बात करें हम हिन्‍दी की

बस बात करें हम हिन्‍दी की।

न चंद्रबिन्‍दु और बिन्‍दी की।

ना बहसें, तर्क, दलीलें दें,

हम हिन्‍दुस्‍तानी, हिन्‍दी की।।

हों घर-घर बातें हिन्‍दी की।

ना हिन्‍दू-मुस्लिम-सिन्‍धी की।

बस सर्वोपरि सम्‍मान करें,

हम हिन्‍दुस्‍तानी, हिन्‍दी की।।

पथ-पथ प्रख्‍याति हो हिन्‍दी की।

ना जात-पाँत हो हिन्‍दी की।

बस जन जाग्रति का यज्ञ करें,

हम हिन्‍दुस्‍तानी, हिन्‍दी की।

एक धर्म संस्‍कृति हिन्‍दी की।

बस ना हो दुर्गति हिन्‍दी की।

सम्‍प्रभुता का ध्‍वज फहरायें,

हम हिन्‍दुस्‍तानी, हिन्‍दी की।।

*मौलिक एवं अप्रकाशित*

Views: 558

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by सूबे सिंह सुजान on September 2, 2014 at 9:37pm

गीत हिन्दी दिवस को ध्यान में रखकर बहुत अच्छा लिखा, है लेकिन हिन्दी की कमियों को समय समय पर दूर करते रहना हमारा कर्त्व्य है। मेरा विचार है कि ओपनबुक्स भी हिन्दी भाषा के लिये विद्यलयों में हिन्दी पर प्रतियोगिता प्रारम्भ करे। जिससे हम हिन्

Comment by Nilesh Shevgaonkar on September 2, 2014 at 8:40pm

लिख तो आदरणीय हन्नी सिंह जी भी रहे हैं ..वो भी हिंदी में ...बिना व्याकरण के ..
मैंने कभी नहीं कहा कि क्लिष्ट शब्द हों ..लेकिन तुकांतता के नाम पर कुछ भी परोसा जाए तो हिंदी का भला होना तो दूर, नए लोग और कतराएंगे.
शब्दों की क्लिष्टता, छंद का विधान दो अलग अलग बाते हैं और तीसरी अलग बात है हिंदी का अपना व्याकरण..जहाँ से भाषा शुरू हो रही है ....यदि वो ही सही नहीं है तो हिंदी के पाँव दबा रहे हैं या गला ..ये आपको तय करना है ..
यदि लिंग भी नहीं देखना है तो लिखना ही क्यूँ है ??
सादर  

Comment by Dr. Gopal Krishna Bhatt 'Aakul' on September 2, 2014 at 7:04pm

आदरणी निलेश शेवगांवकरजी

सादर ई प्रणाम। आपका संशय कई मायनों में वाजिब है। यहाँ इसे समान करें, यज्ञ करें और ध्‍वज फहरायें से हिंदी को नहीं जोड़े। इसे पुर्लिंग या स्‍त्रीलिंग से जोड़ेगे तो कई मायने निकलेंगे, विशेषण के रूप में देखें तो अलग रूप में समझ पायेंगे। जहाँ तक आपका संशय है हिंदी की सम्‍प्रभुता का ध्‍वज फहरायें---, हिंदी की जनजाग्रति का यज्ञ करें------  आज---सभी हिंदी में अच्‍छा लिख रहे हैं---उत्‍कृष्‍ट या निकृष्‍ट जो भी लिखा जा रहा है---- आज हिंदी को लिखने की बात करें बस--उत्‍कृष्‍ट  लिखा जाना भयावह हो सकता है-------सामान्‍य हिंदी लिख कर उसे थोड़ा तुकांत कर दें तो शायद लोग लिखने लग जायेंगे-----उन्‍हें लिखने दीजिए---- उत्‍कृष्‍ट बहुत क्लिष्‍ट भी हो जाता है---जैसे सौरभ पाण्‍डेयजी का हाल का हिंदी पखवाड़े पर नवगीत पढ़ें---कितने उसे समझेंगे कितने आत्‍मसात करेंगे------ मेरा गीत ही देखें---यह जीवन महावटवृक्ष है----कितने इसकी गूढता को समझ पायेंगे----उत्‍कृष्‍ट रचनायें लेखनी स्‍वत: लिख जाती है----- बस आपकी अंतर्दृष्टि गहन हो---------अन्‍यथा नहीं लेंगे--------आपके विचारों से इत्‍तेफ़ाक रखता हूँ----- आज सर्वाधिक गीतों (फि‍ल्‍मी) में इस तरह के बहुत प्रयोग हुए हैं--- जहाँ त्रुटियाँ क्षम्‍य नहीं होती-------फि‍र भी प्रयोग के नाम पर लिखा जा रहा है------- इसलिए बहुत ज्‍यादा व्‍याकरणिक भी नहीं होना चाहिए। कोई भी व्‍याकरिणक ज्ञान लेने के बाद लेखन का आरंभ नहीं करता---ऐसा मेरा मानना है। किमधिकम्।

Comment by Nilesh Shevgaonkar on August 29, 2014 at 8:32am

आदरणीय ..आपके मनोभाव से पूर्ण सहमती रखते हुए कुछ बाते साझा करना चाहता हूँ ... 

बस सर्वोपरि सम्‍मान करें,

हम हिन्‍दुस्‍तानी, हिन्‍दी की..... सम्मान करें..हिंदी की ..क्या ये व्याकरण सम्मत है ??

बस जन जाग्रति का यज्ञ करें,

हम हिन्‍दुस्‍तानी, हिन्‍दी की।..यज्ञ करें.... हिंदी की ...क्या ये व्याकरण सम्मत है ??

सम्‍प्रभुता का ध्‍वज फहरायें,

हम हिन्‍दुस्‍तानी, हिन्‍दी की।।..ध्वज फ़हराए ..हिंदी की ..क्या ये व्याकरण सम्मत है ??


हिंदी का सम्मान होना चाहिए और वो तब हो पाएगा जब हिंदी रचनाकार हिंदी में उत्कृष्ट रचनाएँ लिखेंगे ..
सादर 

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on August 27, 2014 at 12:53pm

आदरणीय गोपाल कृष्ण भाई 

हिन्दी की सुंदर महिमा गाई , हृदय  से मेरी बधाई ।

बोलें और लिखें हिन्दी, हिन्दी में करें हस्ताक्षर।     

न बदले कभी उच्चारण, ऐसे  हिन्दी के अक्षर॥       

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on August 27, 2014 at 10:24am

हमारी मातृभाषा हिंदी की गरिमा पर बहुत सुंदर पंक्तियाँ. बधाई व् धन्यवाद आदरणीय डा.गोपाल कृष्ण जी

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी रिश्तों पर आधारित आपकी दोहावली बहुत सुंदर और सार्थक बन पड़ी है ।हार्दिक बधाई…"
23 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"तू ही वो वज़ह है (लघुकथा): "हैलो, अस्सलामुअलैकुम। ई़द मुबारक़। कैसी रही ई़द?" बड़े ने…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"गोष्ठी का आग़ाज़ बेहतरीन मार्मिक लघुकथा से करने हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह…"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आपका हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी।"
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। बहुत सुंदर लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
Monday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"ध्वनि लोग उसे  पूजते।चढ़ावे लाते।वह बस आशीष देता।चढ़ावे स्पर्श कर  इशारे करता।जींस,असबाब…"
Sunday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"स्वागतम"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. रिचा जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अमित जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service