For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आओ हिन्दी पढें-पढायें हम..

मिलके हिन्दी के गीत गायें हम....

जैसा लिखते हैं वैसा उच्चारण,

इसलिये हिन्दी को करें धारण

विश्व को आओ सच बतायें हम..

मिलके हिन्दी के गीत गायें हम.....

सभ्यता लिप्त हिन्दी भाषा में

एक इतिहास जिसकी गाथा में 

अपनी गाथायें मत भुलायें हम...

आओ हिन्दी पढें-पढायें हम.....

संस्कृत रक्त में समायी है

देव भाषा वही बनायी है

अपने सम्मान को बढायें हम..

आओ हिन्दी पढें पढायें हम....

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 584

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by सूबे सिंह सुजान on September 6, 2014 at 10:00pm

 Sulabh Agnihotri,  सुलभ जी , आपका बहुत बहुत आभार

Comment by सूबे सिंह सुजान on September 6, 2014 at 9:59pm

अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव,  जी आपका प्रेम, मुझे, मिला बहुत  बहुत धन्यवाद ।

हम हिन्दी से प्यार करें इसका प्रचार-प्रसार करें  हिन्दी की अशुद्धियों को दूर करें व हिन्दी की विशेषताओं को जनता ,जनसाधारँ के सामने रखें।

Comment by Sulabh Agnihotri on September 6, 2014 at 5:41pm

बहुत सुन्दर है सूबे सुजान सिंह जी !
इसी अलख को जगाये रहें।

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on September 4, 2014 at 10:58pm

आदरणीय सूबे सिंहजी, 

हिंदी की सुंदर महिमा गाई

कम शब्दों में की है बड़ाई 

हिंदी मास में अलख जगाई

हस्ताक्षर हिंदी में हो भाई 

स्वीकार कीजिए मेरी बधाई 

Comment by सूबे सिंह सुजान on September 4, 2014 at 9:41pm

 गिरिराज भंडारी,  धन्यवाद...........हिन्दी हमारी मात्र भाषा है हम हिन्दी से बहुत प्यार करते हैं।

Comment by सूबे सिंह सुजान on September 4, 2014 at 9:39pm

harivallabh sharma, जी बहुत , शुक्रिया


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 4, 2014 at 5:22pm

हिन्दी के पति आपके भाव बहुत अच्छे लगे , आदरणीय बधाइयाँ |

Comment by harivallabh sharma on September 4, 2014 at 1:29pm

अति सुन्दर रचना ..बधाई आपको.

Comment by सूबे सिंह सुजान on September 3, 2014 at 10:08pm

मित्रों, मेरे विचार से अब समय आ गया है हमें हिन्दी की विशिष्टताओं को बताना चाहिये न कि सदा यही रोते रहें कि- हमने हिन्दी को दासी बनाया है। सकारात्मकता से जनता को हिन्दी की तरफ रूझान करना है । जो साहित्यकारों का ही कर्त्व्य है।

Comment by सूबे सिंह सुजान on September 3, 2014 at 10:04pm

narendrasinh chauhan , बहुत आभार आदरणीय...

आपका धन्यवाद

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Sunday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Saturday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Saturday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service