आओ हिन्दी पढें-पढायें हम..
मिलके हिन्दी के गीत गायें हम....
जैसा लिखते हैं वैसा उच्चारण,
इसलिये हिन्दी को करें धारण
विश्व को आओ सच बतायें हम..
मिलके हिन्दी के गीत गायें हम.....
सभ्यता लिप्त हिन्दी भाषा में
एक इतिहास जिसकी गाथा में
अपनी गाथायें मत भुलायें हम...
आओ हिन्दी पढें-पढायें हम.....
संस्कृत रक्त में समायी है
देव भाषा वही बनायी है
अपने सम्मान को बढायें हम..
आओ हिन्दी पढें पढायें हम....
मौलिक व अप्रकाशित
Comment
Sulabh Agnihotri, सुलभ जी , आपका बहुत बहुत आभार
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव, जी आपका प्रेम, मुझे, मिला बहुत बहुत धन्यवाद ।
हम हिन्दी से प्यार करें इसका प्रचार-प्रसार करें हिन्दी की अशुद्धियों को दूर करें व हिन्दी की विशेषताओं को जनता ,जनसाधारँ के सामने रखें।
बहुत सुन्दर है सूबे सुजान सिंह जी !
इसी अलख को जगाये रहें।
आदरणीय सूबे सिंहजी,
हिंदी की सुंदर महिमा गाई
कम शब्दों में की है बड़ाई
हिंदी मास में अलख जगाई
हस्ताक्षर हिंदी में हो भाई
स्वीकार कीजिए मेरी बधाई
गिरिराज भंडारी, धन्यवाद...........हिन्दी हमारी मात्र भाषा है हम हिन्दी से बहुत प्यार करते हैं।
harivallabh sharma, जी बहुत , शुक्रिया
हिन्दी के पति आपके भाव बहुत अच्छे लगे , आदरणीय बधाइयाँ |
अति सुन्दर रचना ..बधाई आपको.
मित्रों, मेरे विचार से अब समय आ गया है हमें हिन्दी की विशिष्टताओं को बताना चाहिये न कि सदा यही रोते रहें कि- हमने हिन्दी को दासी बनाया है। सकारात्मकता से जनता को हिन्दी की तरफ रूझान करना है । जो साहित्यकारों का ही कर्त्व्य है।
narendrasinh chauhan , बहुत आभार आदरणीय...
आपका धन्यवाद
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