2122 2122 2122 2122
****
हौसला देते न जो ये पाँव के छाले सफर में
हर सफर घबरा के यारो, छोड़ आते हम अधर में
****
एक भटकन है जो सबको, न्योत लाती है यहाँ तक
कौन आता है स्वयं ही, यार दुख के इस नगर में
****
एक वो है पालती जो, काजलों के साथ आँसू
कौन रख पाता भला अब, सौतने दो एक घर में
****
आशिकी की इंतहाँ ये, खुदकुशी का शौक मत कह
हॅसते-हॅसते डाल दी जो किश्तियाँ उसने भवर में
****
खो गया चंचलपना सब, खो गयी निश्छल हॅसी भी
राह कैसी भाग्य ने ये सौंप दी बाली उमर में
****
मसखरा उस को न कहना वो मसीहा गाँव भर का
बाँटता फिरता हॅसी जो धाव चाहे सौ जिगर में
****
( रचना 2 सितम्बर 2014 )
मौलिक और अप्रकाशित
लक्ष्मण धामी ‘मुसाफिर’
Comment
आदरणीय भाई जवाहरलाल जी गजल की प्रशंसा कर उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद ।
आदरणीय भाई आशुतोष जी आपकी प्रतिक्रिया से गजल को जो मान मिला है उसके लिए हार्दिक आभार ।
आदरणीय भाई शकील जी, गजल की प्रशंसा और शुभकामनाओं के लिए हार्दिक धन्यवाद ।
आदरणीय भाई गोपाल नारायन जी गजल का अनुमोदन कर उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद ।
बहुत ही सुन्दर रचना!
एक वो है पालती जो, काजलों के साथ आँसू
कौन रख पाता भला अब, सौतने दो एक घर में
पावों की छालों से हौसला ///क्या बात है .................आदरणीय लक्ष्मण जी हर शेर उम्दा है ..आपकी बेहतरीन ग़ज़लों की श्रंखल में एक और शानदार कड़ी ..आपको हार्दिक बधाई सादर
आशिकी की इंतहाँ ये, खुदकुशी का शौक मत कह
हॅसते-हॅसते डाल दी जो किश्तियाँ उसने भवर में
सुंदर गजल के लिए ढेरों बधाई।
धामी जी
बहुत उम्दा i लजीज व्यंजन की तरह i हर डिश स्वादिष्ट i
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online