For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मसखरा उस को न कहना - (गजल ) - लक्ष्मण धामी ‘मुसाफिर’

2122    2122    2122    2122

****
हौसला  देते  न  जो  ये  पाँव  के  छाले  सफर में
हर सफर घबरा के यारो,  छोड़ आते हम अधर में
****
एक भटकन है जो सबको, न्योत लाती है यहाँ तक
कौन  आता  है स्वयं ही, यार दुख के इस नगर में
****
एक  वो  है पालती  जो,  काजलों के साथ आँसू
कौन रख पाता भला अब, सौतने  दो  एक घर में
****
आशिकी की इंतहाँ ये, खुदकुशी का शौक मत कह
हॅसते-हॅसते डाल दी जो किश्तियाँ उसने भवर में
****
खो गया चंचलपना सब, खो गयी निश्छल हॅसी भी
राह  कैसी  भाग्य ने ये  सौंप  दी  बाली उमर में
****
मसखरा उस को न कहना वो मसीहा गाँव भर का
बाँटता  फिरता  हॅसी  जो धाव चाहे सौ जिगर में

****

(  रचना 2 सितम्बर 2014 )

मौलिक और अप्रकाशित
लक्ष्मण धामी ‘मुसाफिर’

Views: 501

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on September 17, 2014 at 10:37am

आदरणीय भाई जवाहरलाल जी गजल की प्रशंसा कर उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on September 17, 2014 at 10:36am

आदरणीय भाई आशुतोष जी आपकी प्रतिक्रिया से गजल को जो मान मिला है उसके लिए हार्दिक आभार ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on September 17, 2014 at 10:35am

आदरणीय भाई शकील जी, गजल की प्रशंसा और शुभकामनाओं के लिए हार्दिक धन्यवाद ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on September 17, 2014 at 10:35am

आदरणीय भाई गोपाल नारायन जी गजल का अनुमोदन कर उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद ।

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on September 11, 2014 at 8:56pm

बहुत ही सुन्दर रचना!

एक  वो  है पालती  जो,  काजलों के साथ आँसू
कौन रख पाता भला अब, सौतने  दो  एक घर में 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on September 10, 2014 at 11:30am

पावों की छालों से हौसला ///क्या बात है .................आदरणीय लक्ष्मण जी हर शेर उम्दा है ..आपकी बेहतरीन ग़ज़लों की श्रंखल में एक और शानदार कड़ी ..आपको हार्दिक बधाई सादर 

Comment by शकील समर on September 9, 2014 at 4:35pm

आशिकी की इंतहाँ ये, खुदकुशी का शौक मत कह 
हॅसते-हॅसते डाल दी जो किश्तियाँ उसने भवर में 

सुंदर गजल के लिए ढेरों बधाई।

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on September 9, 2014 at 1:02pm

धामी जी

बहुत उम्दा  i लजीज व्यंजन की तरह i हर डिश स्वादिष्ट i

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service