For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

चूड़ियाँ

एक दिन
कॉफी हाउस में
दिखा
कलाई से कोहनी तक
कांच की चूड़ियों से भरा
हीरे के कंगन मढ़ा
एक खूबसूरत हाथ.
गूँज रही थी
उसकी हंसी चूड़ियों के
हर खनक के साथ.
फिर एक दिन
दिखा वही हाथ
कलाईयाँ सूनी थीं
चूड़ियों का कोई निशान
तक नहीं था
सूनी संदल सी
उस कलाई
के साथ
जुडी थी एक
खामोशी .
देर तक सोंचता रहा
क्या चूड़ियाँ
चार दिन की चांदनी
होती हैं.?
मौलिक व अप्रकाशित
विजय प्रकाश शर्मा

Views: 668

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr.Vijay Prakash Sharma on September 24, 2014 at 9:37am

बहुत आभार आ ० रमेश कुमार चौहान जी.

Comment by Dr.Vijay Prakash Sharma on September 24, 2014 at 9:37am

बहुत आभार जनाब खुर्शीद खैराड़ी जी.

Comment by रमेश कुमार चौहान on September 23, 2014 at 10:23pm

सुंदर चित्रण

Comment by khursheed khairadi on September 23, 2014 at 10:26am

सूनी संदल सी 
उस कलाई
के साथ 
जुडी थी एक 
खामोशी .

आदरणीय विजय प्रकाश शरमा जी अच्छा बिम्ब है |सादर अभिनन्दन 

Comment by Dr.Vijay Prakash Sharma on September 21, 2014 at 11:21pm

आभार आ ० गिरिराज भाई.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 21, 2014 at 9:58pm

बहुत खूब आदरणीय , चूड़ी ही क्यों सब कुछ चार दिन का ही खेल है | बढ़िया बात कही आदरणीय ,बधाइयाँ |

Comment by Dr.Vijay Prakash Sharma on September 21, 2014 at 1:40pm

श्री जीतेन्द्र जी,
रचना की सराहना के लिए बहुत आभार.स्नेह बनाये रखें.

Comment by Dr.Vijay Prakash Sharma on September 21, 2014 at 1:39pm

डॉ. विजय शंकर जी,
आपकी सराहना ऊर्जा का संचार कर देती है.बहुत आभार

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on September 21, 2014 at 1:22pm

बहुत सामान्य सी पंक्तियाँ, बहुत गहरी उतर गई मन में. प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई आदरणीय विजय जी

Comment by Dr. Vijai Shanker on September 21, 2014 at 1:17pm
हाँ , शायद चूड़ियाँ चांदनी की, खुशी की प्रतीक होती हैं . संवेदनाओं से भरी इस रचना के लिए बधाई आदरणीय विजय प्रकाश शर्मा जी .

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"आ. अमीरुद्दीन अमीर साहब जब मलाई लिख दिया गया है यानी किसी प्रोसेस से अलगाव तो हुआ ही है न..दूध…"
3 hours ago
Ashok Kumar Raktale commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post पहलगाम ही क्यों कहें - दोहे
"आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी सादर, पहलगाम की जघन्य आतंकी घटना पर आपने अच्छे दोहे रचे हैं. उस पर बहुत…"
18 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा चतुर्दशी (महाकुंभ)
"आदरणीय सुरेश कल्याण जी, महाकुंभ विषयक दोहों की सार्थक प्रस्तुति के लिए हार्दिक धन्यवाद. एक बात…"
20 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"वाह वाह वाह !  आदरणीय सुरेश कल्याण जी,  स्वामी दयानंद सरस्वती जैसे महान व्यक्तित्व को…"
20 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"जय हो..  हार्दिक धन्यवाद आदरणीय "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post पहलगाम ही क्यों कहें - दोहे
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,  जिन परिस्थितियों में पहलगाम में आतंकी घटनाओं को अंजाम दिया गया, वह…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी left a comment for Shabla Arora
"आपका स्वागत है , आदरणीया Shabla jee"
yesterday
Shabla Arora updated their profile
yesterday
Shabla Arora is now a member of Open Books Online
Monday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"आदरणीय सौरभ जी  आपकी नेक सलाह का शुक्रिया । आपके वक्तव्य से फिर यही निचोड़ निकला कि सरना दोषी ।…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"शुभातिशुभ..  अगले आयोजन की प्रतीक्षा में.. "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"वाह, साधु-साधु ऐसी मुखर परिचर्चा वर्षों बाद किसी आयोजन में संभव हो पायी है, आदरणीय. ऐसी परिचर्चाएँ…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service