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ग़ज़ल..टल लिया जाए.

२१२२   १२१२   २२ 

 

क्यों न चुपचाप चल लिया जाए.

बात बिगड़े न टल लिया जाए.

--

जर्द हालात हैं ज़माने के.

रास्ता ये बदल लिया जाये.

--

दायरे तंग हो गए दिल के.

घुट रहा दम निकल लिया जाए.

--

थक गए पाँव चलकर मगर सोचा.

साथ हैं तो टहल लिया जाए.

--

बर्फ सी जीस्त ये जमी क्यों थी.

खिल गयी धूप गल लिया जाए.

--

वारिशें इश्किया शरारों की.

भींगते ही फिसल लिया जाए.

--

चार दिन ही रही मुअइयन तो.

दो घड़ी को बहल लिया जाए.      **हरिवल्लभ शर्मा दि.22.09.2104

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

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Comment by harivallabh sharma on September 30, 2014 at 12:39am

आदरणीय विजय मिश्र जी अभिभूत हुआ आपकी मनोबल बढाती प्रतिक्रिया पाकर...आपका हार्दिक आभार..कृपया स्नेह बनाये रखें सादर.

Comment by विजय मिश्र on September 26, 2014 at 5:48pm
सुंदर ,बहुत सुंदर , बधाई | हरिवल्लभजी , किसी शांत नदी की मंद प्रवाह की तरह हृदय को स्पर्श करती बढती है आपकी यह रचना |हार्दिक बधाई |
Comment by harivallabh sharma on September 26, 2014 at 3:11pm

आदरणीय Dr Ashutosh Mishra जी बहुत आभार आपका ..आपका प्रोत्साहन मार्गदर्शक है कृपया स्नेह बनाये रखें.

Comment by harivallabh sharma on September 26, 2014 at 3:09pm

आदरणीय जितेन्द्र 'गीत' जी आपकी सार्थक प्रतिक्रिया का हार्दिक आभार.स्नेह बनाये रखे ..

Comment by harivallabh sharma on September 26, 2014 at 3:01pm

बहुत बहुत आभार आपका आदरणीय गिरिराज भंडारी जी,आपने ग़ज़ल पर अनुकूल टीप देकर उत्साहित भी किया एवं मेरी चूक पर आपकी नज़र पड़ी शेर मैं..."आप हैं तो टहल लिया जाए." करना चाहूँगा जैसा परामर्श हो कृपया ,तो अनुमति सुधार हेतु चाहूँगा.सादर.

Comment by Dr Ashutosh Mishra on September 25, 2014 at 8:02pm

दायरे तंग हो गए दिल के.

घुट रहा दम निकल लिया जाए...आदरणीय हरिवल्लभ जी उम्दा ग़ज़ल के इस   शेर पर  बिशेष रूप से बढ़ाई स्वीकार करें सादर 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on September 25, 2014 at 2:20pm

बहुत बढ़िया गजल कही सर जी, आज के समय में बस यही सही रास्ता है..बधाई


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 25, 2014 at 7:48am

आदरणीय हरिवल्लभ भाई , बढ़िया ग़ज़ल कही है आपने , दिली बधाइयाँ स्वीकार करें |

क्यों न चुपचाप चल लिया जाए.

बात बिगड़े न टल लिया जाए.

जर्द हालात हैं ज़माने के.

रास्ता ये बदल लिया जाये. ---- ये शे र बहुत सुन्दर लगे , बहुत बधाई |

ये शे र बे बहर हो गया है , देख लीजिएगा --

थक गए पाँव चलकर मगर सोचा.

आपके साथ टहल लिया जाए. -

--

 

Comment by harivallabh sharma on September 24, 2014 at 11:56am

आदरणीय ram shromani pathak जी आपकी प्रभावित करती टिप्पणी उत्साहित करती है , आपका हार्दिक आभार.

Comment by ram shiromani pathak on September 24, 2014 at 9:56am
वाह सीधी साधी बात लेकिन बहुत प्यारे तरीके से।। हार्दिक बधाई आपको आदरणीय।।

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