ग़ज़ल..टल लिया जाए.
२१२२ १२१२ २२
क्यों न चुपचाप चल लिया जाए.
बात बिगड़े न टल लिया जाए.
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जर्द हालात हैं ज़माने के.
रास्ता ये बदल लिया जाये.
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दायरे तंग हो गए दिल के.
घुट रहा दम निकल लिया जाए.
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थक गए पाँव चलकर मगर सोचा.
साथ हैं तो टहल लिया जाए.
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बर्फ सी जीस्त ये जमी क्यों थी.
खिल गयी धूप गल लिया जाए.
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वारिशें इश्किया शरारों की.
भींगते ही फिसल लिया जाए.
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चार दिन ही रही मुअइयन तो.
दो घड़ी को बहल लिया जाए. **हरिवल्लभ शर्मा दि.22.09.2104
(मौलिक एवं अप्रकाशित)
Comment
आदरणीय विजय मिश्र जी अभिभूत हुआ आपकी मनोबल बढाती प्रतिक्रिया पाकर...आपका हार्दिक आभार..कृपया स्नेह बनाये रखें सादर.
आदरणीय Dr Ashutosh Mishra जी बहुत आभार आपका ..आपका प्रोत्साहन मार्गदर्शक है कृपया स्नेह बनाये रखें.
आदरणीय जितेन्द्र 'गीत' जी आपकी सार्थक प्रतिक्रिया का हार्दिक आभार.स्नेह बनाये रखे ..
बहुत बहुत आभार आपका आदरणीय गिरिराज भंडारी जी,आपने ग़ज़ल पर अनुकूल टीप देकर उत्साहित भी किया एवं मेरी चूक पर आपकी नज़र पड़ी शेर मैं..."आप हैं तो टहल लिया जाए." करना चाहूँगा जैसा परामर्श हो कृपया ,तो अनुमति सुधार हेतु चाहूँगा.सादर.
दायरे तंग हो गए दिल के.
घुट रहा दम निकल लिया जाए...आदरणीय हरिवल्लभ जी उम्दा ग़ज़ल के इस शेर पर बिशेष रूप से बढ़ाई स्वीकार करें सादर
बहुत बढ़िया गजल कही सर जी, आज के समय में बस यही सही रास्ता है..बधाई
आदरणीय हरिवल्लभ भाई , बढ़िया ग़ज़ल कही है आपने , दिली बधाइयाँ स्वीकार करें |
क्यों न चुपचाप चल लिया जाए.
बात बिगड़े न टल लिया जाए.
जर्द हालात हैं ज़माने के.
रास्ता ये बदल लिया जाये. ---- ये शे र बहुत सुन्दर लगे , बहुत बधाई |
ये शे र बे बहर हो गया है , देख लीजिएगा --
थक गए पाँव चलकर मगर सोचा.
आपके साथ टहल लिया जाए. -
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आदरणीय ram shromani pathak जी आपकी प्रभावित करती टिप्पणी उत्साहित करती है , आपका हार्दिक आभार.
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