"भईया, तुम ऐसा क्यों करते हो, अब तो मेरी सहेलियाँ भी कहती हैं कि तेरा भाई और उसके दोस्त बड़े गन्दे हैं, रास्ते में भद्दे-भद्दे कमेन्ट्स करते हैं"
सन्ध्या अपने भाई से नाराज होते हुए बोली! रोहन उसकी बात को अनसुना करके चला गया। शाम होते ही फिर वह और उसके दोस्त बस स्टाफ की तरफ निकलें, वहां एक लड़की बस का इन्तजार कर रही थी, चेहरा दुपट्टे से ढका था, उसे देखते ही रोहन कमेन्ट्स करते हुए उसका दुपट्टा खींच लिया, देखा तो अवाक रह गया, जैसे पैरो तले से जमीन ही खिसक गई हो, सामने खड़ी सन्ध्या रो रही थी।
"मौलिक/अप्रकाशित"
Comment
अच्छी लघुकथा.badhai आदरणीय पवन भाई. पछतावा होना भी , बिलकुल सही समय का इंतज़ार करता है
वाह पवन जी
आपका प्रयास बहुत अच्छ रहा i सुन्दर i
आदरणीया राजेश कुमारी जी, सादर अभिवादन, लघु कथा अच्छी और शिक्षाप्रद लगी, एक और प्रयास सफल हुआ इसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद,
उत्साहवर्धन हेतु हार्दिक आभार!
वाह शानदार पंच अंत में ----जब अपने पे आई तो जमीन खिसक गई होगी !! एक बहुत ही खूबसूरत सन्देश छुपा है इस कहानी में --यदि हम माँ ,बहन ,बेटी,दोस्त घर से ही पुरुष की गन्दी संगति उसके ग़लत चाल चलन में सुधार लायेंगे तो बदलाव जरूर आएगा.बहुत बहुत बधाई आपको इस सुन्दर/शिक्षाप्रद लघु कथा के लिए|
"आदरणीया सविता मिश्रा जी सादर अभिवादन! प्रोत्साहन हेतु हार्दिक आभार!
बहुत सुंदर.....
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online