“तू लड़की होकर भी हमेशा गली में लड़कों के साथ खेलती रहती है, ये बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता |“
पड़ोसी अंकल ने रितिका को समझाते हुए कहा |
“हाँ अंकल जी ! मगर ये तो अच्छा लगता होगा न कि लड़के हमें देखकर छींटाकशी करें, और हमें चुप रहने और घर में रहने की नसीहत दी जाए ?”
अंकल जी चुपचाप बेटे को लेकर घर में चले गए |
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सोमेश कुमार (मौलिक एवं अप्रकाशित )
Comment
बहुत खूब भाई सोमेश कुमार जी, दोहरी मानसिकता पर कास के तमाचा जड़ा है।
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